Giorgia Meloni: इटली में आज प्रधानमंत्री पद के चुनाव हो रहे हैं। नए प्रधानमंत्री की इस दौड़ में ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी की नेता GIORGIA MELONI सबसे आगे चल रहीं हैं। ज्यादातर सर्वे बता रहे हैं कि जियोर्जिया ही अगली प्रधानमंत्री चुनी जाएंगी। चुनाव में मेलोनी की अगुआई वाले राष्ट्रवादी पार्टियों के गठबंधन को 60% से ज्यादा सीटें मिलने की उम्मीद है। एक सर्वे के अनुसार, जियोर्जिया का वोट शेयर 46% से अधिक होगा।
अगर जियोर्जिया चुनाव जीतती हैं, तो वह इटली की पहली महिला प्रधानमंत्री होंगी। जियोर्जिया दक्षिणपंथी मानी जाती हैं। खासतौर पर इस्लामिक कट्टरता की बड़ी विरोधी हैं। जियोर्जिया अपने राष्ट्रवादी मुद्दों के चलते इटली में लोगों की पहली पसंद बनी हुई हैं।
ऐसे में आज हम आपको GIORGIA MELONI के बारे में सबकुछ बताएंगे। कैसे उन्होंने राजनीति शुरू की? मेलोनी के प्रधानमंत्री बनने से भारत के रिश्ते कैसे होंगे? आइए समझते हैं…
पहले जानिए जार्जिया मेलोनी कौन हैं?
GIORGIA MELONIका जन्म 15 जनवरी 1977 को हुआ। वह एक इतालवी पत्रकार और राजनीतिज्ञ हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी के समर्थकों ने एक आंदोलन शुरू किया था। इसे इतालवी सामाजिक आंदोलन (एमएसआई) नाम दिया गया था। 15 साल की उम्र में मेलानी ने इसके यूथ विंग में काम किया।
19 साल की उम्र में मेलोनी ने दक्षिणपंथी राष्ट्रीय गठबंधन के लिए खूब प्रचार किया। इस दौरान उन्होंने फ्रांसीसी टेलीविजन को बताया कि मुसोलिनी एक अच्छे राजनेता थे। उन्होंने जो कुछ भी किया, वह इटली के लिए किया। मेलोनी के पिता अकाउंटेंट थे।
2006 में पहली बार वह राष्ट्रीय गठबंधन की तरफ से सांसद चुनी गईं। बाद में मेलोनी सिल्वियो बर्लुस्कोनी की चौथी सरकार (2008-2011) में युवा मंत्री के रूप में कार्य किया और यंग एक्शन की अध्यक्ष बनीं।
मेलोनी इटली की सबसे कम उम्र की मंत्री बनी थीं। वह 2014 से राष्ट्रीय-रूढ़िवादी राजनीतिक दल ब्रदर्स ऑफ इटली की नेता हैं। रोम में जन्मीं मेलोनी अंग्रेजी, स्पेनिश और फ्रेंच बोलती हैं। उनकी एक बेटी है, जिसका जन्म 2006 में हुआ।
मेलोनी से इस्लामिक और यूरोपीय देशों में क्या प्रतिक्रिया हो रही?
इसे समझने के लिए हमने विदेश मामलों के जानकार डॉ. आदित्य पटेल से बात की। उन्होंने कहा, ‘मेलोनी दक्षिणपंथी हैं। उन्होंने राष्ट्रवाद के नाम पर इटली के लोगों का समर्थन हासिल किया है।
मेलोनी ने इस्लामिक कट्टरता को लेकर खुलकर अपनी भड़ास निकाली है। इसके अलावा वह इटली में शरणार्थियों की समस्या को लेकर यूरोपीयन यूनियन को दोषी मानती हैं।’
डॉ. आदित्य आगे कहते हैं, ‘मेलोनी ने इस्लामिक कट्टरता के खिलाफ कई बार बयान दिया है। अपने चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कहा था- मुस्लिम देशों में आए दिन गृहयुद्ध चलता रहता है।
तब दुनिया को इन मुस्लिम देशों में त्रस्त महिलाओं और बच्चों की तस्वीरें दिखाई जाती हैं। लेकिन जब शरणार्थी बनने की बात आती है तो ज्यादातर पुरुष शरणार्थी आ जाते हैं। मैं इन पुरुषों को शरणार्थी नहीं मानती हूं।’
आदित्य के अनुसार, ‘मेलोनी ने इस चुनाव में इटली में शरणार्थियों की बढ़ती आबादी का मुद्दा जोरशोर से उठाया। वह यूरोपीय संघ पर इटली की एथनिसिटी (नस्ल) बदलने का भी आरोप लगाती हैं।
मेलोनी मानती हैं कि इटली को शरणार्थियों से सबसे ज्यादा खतरा है। खासतौर पर मुस्लिम शरणार्थियों से।’
मेलोनी के विपक्षी दावा करते हैं कि अगर वह प्रधानमंत्री बनती हैं तो इटली यूरोपीयन यूनियन से बाहर हो सकता है। वह नहीं चाहती हैं कि यूरोपीयन यूनियन में इटली बरकरार रहे।
हिंसा, समलैंगिकता के खिलाफ भी
जून में मेलोनी ने चुनावी भाषण में खुलकर कई मुद्दों पर अपनी बात रखी थी। उन्होंने कहा था, ‘प्राकृतिक परिवार के लिए हां, लेकिन समलैंगिकता लॉबी को ना।
सेक्युअल पहचान को हां, लेकिन जेंडर आइडियोलॉजी को ना। जिंदगी की संस्कृति को हां, लेकिन मौत के तांडव को ना।’
भारी भीड़ को संबोधित करते हुए मेलोनी ने इस्लामिक कट्टरता पर भी निशाना साधा था। कहा था, ‘इस्लामिक हिंसा, सुरक्षित सीमा (बॉर्डर) और ज्यादा अप्रवासी को भी ना।’ मेलोनी खुद को राष्ट्रवादी बताती हैं और क्रिश्चयन होने पर गर्व करती हैं।
मेलोनी की पार्टी इटली के तानाशाह रहे मुसोलिनी की समर्थक हैं।
भारत से कैसे होंगे रिश्ते?
इसे समझने के लिए हमने विदेश मामलों के जानकार प्रोफेसर चंद्रशेखर झा से बात की। उन्होंने कहा, ‘ मेलोनी की ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी और भारत की सत्ताधारी पार्टी भाजपा की विचारधारा दक्षिणपंथी ही है।
दोनों के मुद्दे भी लगभग एक जैसे ही हैं। दोनों राष्ट्रवाद को आगे लेकर चलते हैं। ऐसे में अगर मेलोनी इटली की प्रधानमंत्री बनती हैं तो इससे भारत के रिश्ते मजबूत होंगे।’