Government Employees news। मध्य प्रदेश के लाखों सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों को शिवराज सरकार ने बड़ा तोहफा दिया है। राज्य शासन द्वारा राष्ट्रीय पेंशन योजना में शासकीय अंशदान 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दिया गया।इस संबंध में वित्त विभाग (finance department) ने आदेश जारी कर दिए है।इससे शिवराज सरकार पर सालाना 600 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय भार आने की संभावना है। अभी तक योजना में सरकार का अंशदान 10 फीसद था।
दरअसल, मध्य प्रदेश के बजट सत्र के दौरान राष्ट्रीय पेंशन योजना में 4% अंशदान बढ़ाने की सैद्धांतिक सहमति दे दी थी, इसके बाद हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक (Cabinet Meeting) में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। इसके बाद आज शुक्रवार को इस संबंध मे आदेश जारी कर दिए गए है। इससे प्रदेश के करीब चार लाख से ज्यादा अधिकारी- कर्मचारी लाभान्वित होंगे।
मध्य प्रदेश के वित्त के उप सचिव अखिल कुमार वर्मा ने जानकारी दी है कि राष्ट्रीय पेंशन योजना (National pension scheme) में अब कर्मचारियों का मासिक अंशदान, वेतन और मंहगाई भत्ते का 10 प्रतिशत होगा तथा राज्य शासन का मासिक अंशदान मंहगाई भत्ते और वेतन का 14 प्रतिशत होगा। यह प्रावधान एक अप्रैल 2021 से लागू किया गया है। राष्ट्रीय पेंशन योजना एक जनवरी 2005 या उसके बाद नियुक्त शासकीय सेवकों के लिए लागू की गई है।
दरअसल, वर्तमान में राष्ट्रीय पेंशन योजना (National pension scheme) के अंतर्गत राज्य सरकार 10 फीसदी अंशदान देती है, लेकिन केंद्रीय कर्मचारियों की तरह शिवराज सरकार ने इसे 4 फीसदी और बढ़ा दिया है, जिसके 2005 के बाद भर्ती मध्य प्रदेश के 4 लाख से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारियों के पेंशन योजना में सरकार अब 14 फीसद अंशदान देेगी।
अबतक IAS-IPS को मिलता था लाभ
बता दे कि मध्य प्रदेश अभी तक आईएएस-आईपीएस (IAS-IPS) और आइएफएस अधिकारियों को 14 फीसद अंशदान का लाभ दिया जा रहा है और अब शिवराज सरकार राज्य के अधिकारियों और कर्मचारियों को भी इसका लाभ देने जा रही है। सरकार के इस फैसले से लगभग 4 लाख कर्मचारी-अधिकारियों को लाभ मिलेगा।
क्या है योजना
गौरतलब है कि राष्ट्रीय पेंशन योजना भारत सरकार (Indian Government) द्वारा पेश की गई एक रिटायरमेंट स्कीम है। इसे 1 जनवरी, 2004 को लॉन्च किया गया था। शुरुआत में एनपीएस सरकार में भर्ती होने वाले नए कर्मचारियों (सशस्त्र सेना बलों के अलावा) के लिए शुरू की गई थी, लेकिन 1 मई 2009 से यह स्वैच्छिक आधार पर असंगठित क्षेत्र के कामगारों सहित देश के सभी नागरिकों को प्रदान की जा रही है।