गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ 11 जुलाई रविवार को कलश स्थापना के साथ हाेगा। गुप्त नवरात्र के दौरान अन्य नवरात्रों की तरह ही पूजा करनी चाहिए। इस बार नवरात्रि में षष्टी तिथि का क्षय होने के कारण आठ दिन की गुप्त नवरात्रि रहेगी। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि घट स्थापना का शुभ मुहूर्त लाभ और अमृत चौघड़िया प्रातः काल 9:08 बजे से शुरू होकर 12:32 मिनट तक रहेगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग व पुष्य नक्षत्र होने के कारण फलदायी रहेगा।
घट स्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ नवरात्र व्रत का उद्यापन करना चाहिए। गुप्त नवरात्रि में दुर्गा पूजा का आरंभ करने से पूर्व कलश स्थापना करने का विधान है। जिससे मां दुर्गा का पूजन बिना किसी विघ्न के कुशलता पूर्वक संपन्न हो और मां अपनी कृपा बनाए रखें। कलश स्थापना के उपरांत मां दुर्गा का श्री रूप या चित्रपट लाल रंग के पाटे पर सजाएं। फिर उनके बाएं ओर गौरी पुत्र श्री गणेश का श्री रूप या चित्रपट विराजित करें। अखंड ज्योति प्रज्वलित करें, जो पूरे नौ दिनों तक जलती रहनी चाहिए। विधि-विधान से पूजन किए जानें से अधिक मां दुर्गा भावों से पूजन किए जाने पर अधिक प्रसन्न होती हैं।
इस मंत्र का करें जापः अगर आप मंत्रों से अनजान हैं तो केवल पूजन करते समय दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे’ से समस्त पूजन सामग्री अर्पित करें। मां शक्ति का यह मंत्र चमत्कारी शक्तियों से सपंन्न करने में समर्थ है।
गुप्त नवरात्रि कलश पूजा विधिः सुबह जल्दी उठकर सभी कार्यों से निवृत्त होकर नवरात्रि की सभी पूजन सामग्री को एकत्रित करें। मां दुर्गा की प्रतिमा को लाल रंग के वस्त्र में सजाएं। मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं और नवमी तक प्रति दिन पानी का छिड़काव करें। पूर्ण विधि के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश को स्थापित करें। इसमें पहले कलश को गंगा जल से भरें, उसके मुख पर आम की पत्तियां लगाएं और उस पर नारियल रखें। कलश को लाल कपड़े से लपेटें और कलावा के माध्यम से उसे बांधें। अब इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें। फूल, कपूर, अगरबत्ती, ज्योत के साथ पंचोपचार पूजा करें। नौ दिनों तक मां दुर्गा से संबंधित मंत्र का जाप करें और माता का स्वागत कर उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें। अष्टमी या नवमी को दुर्गा पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें तरह-तरह के व्यंजनों (पूड़ी, चना, हलवा) का भोग लगाएं। आखिरी दिन दुर्गा मां की पूजा के बाद घट विसर्जन करें, मां की आरती गाएं, उन्हें फूल, चावल चढ़ाएं और वेदी से कलश को उठाएं।
सर्वार्थ सिद्धि योग व पुष्य नक्षत्रः रविवार के सर्वार्थ सिद्धि याेग व पुष्य नक्षत्र भी है, इस दिन इस योग में वाहन खरीदना भवन व भूमि, वस्त्र, आभूषण खरीदना शुभ माना जाता है। पुष्य नक्षत्र में खरीदी गई वस्तु का स्थायित्व बना रहता है और इस दिन किए गए कार्यों की सिद्धि प्राप्त होती है।