Gyanwapi : हिंदू पक्ष ने मांगा उपासना का अधिकार, मुस्लिम पक्ष बोला- 1947 का स्वरूप ही अंतिम माना जाए
Gyanwapi : मुस्लिम पक्ष ने दिए यह तर्क, औरंगजेब ने मंदिर तोड़ मस्जिद बनवाई, यह वक्फ संपत्ति
Gyanwapi : ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर अदालत गए हिंदू पक्ष का मुख्य तर्क था कि वे किसी संपत्ति या जमीन पर कब्जा नहीं करना चाहते या किसी मस्जिद को मंदिर नहीं बनवाना चाहते। केवल प्लॉट संख्या 9130 पर अपने ईश्वर की उपासना, दर्शन, भोग और आरती का अधिकार चाहते हैं। याचीगण का कहना था यहां श्री आदि विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंगम, देवी मां श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान, नंदी जी और दृश्य व अदृश्य देवी-देवता, मंडल, तीर्थं अस्तित्व रखते हैं।
इसे प्राचीन श्री आदि विश्वेश्वर मंदिर परिसर कहा जाता है। उन्हें इनकी उपासना और दर्शन करने से न रोका जाए। बचाव पक्ष कहा जाए कि वे इस प्लॉट में कोई तोड़फोड़ न करें, न इसे या इसके किसी हिस्से को ढहाएं। उपासना में बाधा न उत्पन्न करें, यूपी सरकार को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कहा जाए।
हिंदू पक्ष के अनुसार सन 1669 में मुगल बादशाह औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हिस्से को नष्ट कर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण कराया था। इसके आधार पर हिंदू इस सुरक्षा मस्जिद से मुस्लिमों का अधिकार खत्म कर इसे हिंदुओं को सौंपने की मांग कर रहे हैं।
मुस्लिम पक्ष ने दिए यह तर्क
औरंगजेब ने मंदिर तोड़ मस्जिद बनवाई, यह वक्फ संपत्ति
विवादित स्थल प्लॉट 9130 पर 600 साल से ज्ञानवापी मस्जिद बनी है। इसे औरंगजेब ने मंदिर को तोड़कर 1669 में बनवाया था। अब यह एक वक्फ संपत्ति है जो यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ के अधीन आती है। इस पर कोई दावा मान्य नहीं हो सकता, याचिका को रद्द किया जाना चाहिए।
राजस्व दस्तावेज भी दिए
बचाव पक्ष ने कुछ राजस्व रिकॉर्ड प्रस्तुत किए, जिनके आधार पर स्थल पर ज्ञानवापी मस्जिद का अधिकार दिखाया गया। इनमें 1883-84 के बंदोबस्ती-नक्शों सहित वक्फ बोर्ड के ज्ञापन शामिल थे।
उपासना स्थल कानून में भी ऐसी याचिका विचार योग्य नहीं
ज्ञानवापी मस्जिद इस समय अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद समिति के नियंत्रण में है। यहां वाराणसी और आसपास के क्षेत्रों के आम मुसलमान पांच वक्त नमाज पढ़ने आते हैं। संसद ने उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम 1991 बनाकर साफ कर दिया था कि 15 अगस्त, 1947 के दिन किसी भी धर्म स्थल का जो स्वरूप था, उसे ही अंतिम रूप से स्वीकारा जाएगा। इसके खिलाफ किसी अदालत में किसी याचिका पर विचार नहीं होगा। इसके बावजूद मौजूदा याचिका बहुत चालाकी से लिखी गई है।
हिंदू पक्ष के जवाबी तर्क
केस को लंबा खींचना चाहता है बचाव पक्ष
उपासना स्थल कानून का उल्लेख केवल मामले को लंबा खींचने की कोशिश है। वे मामले पर मेरिट के आधार पर निर्णय नहीं चाहते। प्लॉट 9130 पर मस्जिद नहीं है, यह दशाश्वमेध वार्ड पुलिस स्टेशन के क्षेत्र में है। पूरी संपत्ति अज्ञात समय से ईश्वर के नाम रही है।
राजस्व रिकॉर्ड ही मालिकाना हक के दस्तावेज नहीं
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के हवाले से कहा गया कि राजस्व रिकॉर्ड में अगर लीज धारक का नाम दर्ज है, लेकिन समर्थन में कोई दस्तावेज नहीं है तो यह रिकॉर्ड मालिकाना हक के दस्तावेज नहीं माने जा सकते।
औरंगजेब ने वक्फ किया, इसका कोई साक्ष्य नहीं दिया
मस्जिद केवल वक्फ की जमीन पर बनती है। बिना अधिकार विवादित जमीन पर जबरन नमाज पढ़ने से वहां मस्जिद नहीं हो जाती। वक्फ किसी ऐसी जमीन को अपने कब्जे में नहीं ले सकता, जो किसी और या भगवान के नाम की गई हो। औरंगजेब के समय में मंदिर के कुछ हिस्से को तोड़ा गया, लेकिन हिंदुओं ने पूजा नहीं रोकी। ऐसा कोई साक्ष्य भी नहीं दिया गया जो बताए कि औरंगजेब ने जमीन को वक्फ किया। इसलिए मुसलमान वहां अतिक्रमण कर रहे हैं। टूटे हिस्से पर बिना अधिकार निर्माण करवाया गया है, जबकि परिसर के दक्षिण में स्थित तहखाना आज भी हिंदुओं के अधीन है।
1993 तक पूजा होती थी फिर साल में एक बार की अनुमति मिली
15 अगस्त, 1947 से 1990 तक यहां पूजा होती थी लेकिन अयोध्या विवाद के वक्त मुसलमानों के तुष्टिकरण के लिए राज्य सरकार ने बिना कानूनी अधिकार के वाराणसी डीएम के जरिए इस पर रोक लगा दी। 1993 से साल में केवल एक बार चैत्र में वासंतिक नवरात्र के चौथे दिन भक्तों को प्राचीन मंदिर में पूजा का अधिकार दिया गया है याचीगण इसमें जाते हैं। इसी वजह से उपासना स्थल कानून इस मामले में लागू नहीं होता।
बम-बम बोल रहा है काशी पर झूमीं याची महिलाएं
फैसला आने के बाद कोर्ट में याचिका दायर करने वाली याची महिलाएं खुशी से झूम उठीं। फैसला सुनने के बाद उन्होंने हर हर महादेव का जयघोष किया। इसके साथ ही बम बम बोल रहा है काशी पर झूम उठीं। कोर्ट परिसर से बाहर आने के बाद याची महिलाओं ने कहा कि यह बड़ा सौभाग्य की बात है कि फैसला सोमवार को ही आया।
मीडिया से बात करते हुए कहा कि आज ऐतिहासिक दिन है। कहा कि अब पुरातात्विक सर्वेक्षण और दर्शन-पूजन का अधिकार दिलाने की मांग की जाएगी। महिलाओं ने कहा कि जो भी साक्ष्य मिले हैं, अब उसकी कार्बन डेटिंग कराने की मांग की जाएगी। फैसले के बाद महिलाओं को लोगों ने मिठाई खिलाकर खुशियां बांटी।