Hanuman Chalisa: मंदिरों के आस-पास रहने वाले परिवार के बच्चों को कंठस्थ कराएं हनुमान चालीसा- मंत्री उषा ठाकुर
Hanuman Chalisa: मंदिरों के आस-पास रहने वाले परिवार के बच्चों को कंठस्थ कराएं हनुमान चालीसा- मंत्री उषा ठाकुर
Hanuman Chalisa: मंदिरों के आस-पास रहने वाले परिवार के बच्चों को कंठस्थ कराएं हनुमान चालीसा- मंत्री उषा ठाकुर । मध्य प्रदेश की पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मस्व विभाग की मंत्री उषा ठाकुर ने मंदिरों को सामाजिक सरोकार के मजबूत केंद्र बनाने का आह्वान किया है।
कहा है कि सभी प्रमुख मंदिरों में सांध्य आरती का एक समय निश्चित करें, ताकि सभी लोग निर्धारित समय पर आरतियों में शामिल हों। मंदिरों के आसपास के 62 लोगों की सूची बनाएं। प्रतिदिन प्रत्येक परिवार द्वारा घर में जो भी भोजन बने, उसका भोग मंदिर में भगवान को लगाने की व्यवस्था की जाए। इससे मंदिर के प्रति पूरे परिवार का लगाव बढ़ेगा। परिवार के सदस्यों की आध्यात्मिक उन्नति होगी। सभी 62 परिवारों के बच्चों को हनुमान चालीसा, दुर्गा सप्तशती, शिव स्तुति, शिव तांडव स्तोत्र आदि मंत्र कंठस्थ कराए जाएं।
मंत्री उषा ठाकुर इंदौर रोड स्थित स्वामीनारायण आश्रम में रविवार को जल महोत्सव ‘सुजलाम’ अंतर्गत हुए पुजारी-पुरोहित प्रशिक्षण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि सम्मिलित हुई थीं। उन्होंने जन अभियान परिषद के माध्यम से प्रत्येक विकासखंड में एक-एक गोशाला का निर्माण कराने की घोषणा की। विशेष अतिथि आचार्य शेखर ने कहा कि जब-जब इस पृथ्वी पर कोई समस्या होती है तो हमें वेदों की शरण में जाना चाहिए। स्वागत भाषण मध्य प्रदेश तीर्थ स्थान एवं मेला प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डा. राजेश श्रीवास्तव ने किया।
प्राधिकरण के अध्यक्ष माखनसिंह चौहान, जनअभियान परिषद के उपाध्यक्ष विभाष उपाध्याय, वाल्मीकि धाम के महंत उमेशनाथजी महाराज, महंत सीजी रमण, महाकालेश्वर मंदिर के महंत विनीत गिरि महाराज, स्वामी श्याम बाबा विशेष रूप से उपस्थित थे। संचालन महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के डा. तुलसीदास परोहा ने किया। आभार जनअभियान परिषद के संभाग समन्वयक शिव मालवीय ने किया।
कलश यात्रा
जल महोत्सव में सोमवार को सामाजिक न्याय परिसर से कलश यात्रा निकाली जाएगी। विभाष उपाध्याय ने बताया कि इस यात्रा में शामिल कलश में देश की सभी प्रमुख नदियों का जल भरा होगा। यात्रा में प्रदेश की सांस्कृतिक झलक भी दिखाई देगी। रामघाट पर सभी नदियों का जल शिप्रा नदी में अर्पित किया जाएगा।