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आज मनाया गया हरछठ पर्व, विधि से पूजा कर व्रतधारी महिलाओं ने की करने से संतान-सुख की कामना

कटनी। सावन पूर्णिमा के 6 दिन बाद हरछठ का पर्व बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान बलराम को समर्पित है। हल धारण करने के चलते ही बलरामजी को हलधर भी कहा जाता है। ये देवकी और वासुदेव की सातवीं संतान हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति होती है। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि पर हरछठ व्रत किया जाता है। इस पर्व को हलछठ, बलदेव छठ, तिनछठी और चंदन छठ आदि के नाम से भी जाना जाता है।

इस शुभ अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही संतान-सुख की प्राप्ति के लिए व्रत भी किया जाता है। पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी की शुरुआत 24 अगस्त को सुबह 07 बजकर 51 मिनट पर शुरू हो गई है। वहीं इस तिथि का समापन आज होगा। ऐसे में आज यानी 25 अगस्त को हरछठ का पर्व मनाया जा रहा है।

 

आज व्रत धारी महिलाएं सुबह जल्दी उठ कर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित की। चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान श्रीकृष्ण और बलराम की प्रतिमा को विराजमान करते हुए पर्व की पूजा अर्चना शुरू की। प्रभु को चंदन लगाएं और फूलमाला पहना कर पूजा शुरू की। देशी घी का दीपक जलाकर आरती उतारते हुए मंत्रों का जाप किया। बलरामजी का शस्त्र हल है। ऐसे में उनकी प्रतिमा पर एक छोटा हल रखकर पूजा की गई। इसके पश्चात प्रभु को फल, मिठाई और खीर समेत आदि चीजों का भोग लगा कर पूजा सम्पन्न की। व्रतधारी महिलाओं ने भगवान श्रीकृष्ण और बलराम जी से जीवन में सुख-शांति की कामना की। धार्मिक मत है कि जो साधक इस व्रत को करता है उसे संतान-सुख की प्राप्ति होती है और संतान को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। ऐसा करने से परिवार पर भगवान श्री कृष्ण और बलराम की कृपा सदैव बनी रहती है।

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