Health News । हम अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने और कर्तव्यों के निर्वहन के लिए पूरे सप्ताह कड़ी मेहनत करते हैं। इस दौरान हम आराम करने के नाम पर 8 घंटे की नींद ले लेते हैं, लेकिन आपको जानकर यह हैरान होगी कि सिर्फ 8 घंटे की नहीं लेने से ही शरीर राहत नहीं मिलती है। नींद के अलावा भी अन्य तरह के आराम होते हैं, जिसकी ओर हमें जरूर ध्यान देना चाहिए है। आइए जानते हैं इन खास तरह आराम के बारे में
कई बार हम देखते हैं कि पर्याप्त नींद लेने के बाद भी शरीर में दर्द बना रहा है। शारीरिक रूप से थकान महसूस होती है। इसलिए हमें आराम के सबसे पहले प्रकार यानि शारीरिक आराम पर जरूर ध्यान देना चाहिए। शारीरिक आराम निष्क्रिय और सक्रिय दोनों हो सकता है। निष्क्रिय शारीरिक आराम वह है जिसे हम आम तौर पर आराम से जोड़ते हैं, अर्थात सोना और झपकी लेना। लेकिन सक्रिय आराम से मतलब है योग , ध्यान, स्ट्रेचिंग और मालिश जैसी आराम देवी वाली गतिविधियों पर ध्यान देना। ये सभी गतिविधियां शरीर में रक्त परिसंचरण को बढ़ाती हैं, लचीलापन बढ़ाती हैं और शरीर को फिर से जीवंत बनाती है।
मानसिक आराम
काम के बीच में आराम
ऑफिस या दुकान के दौरान सभी लोग लगातार काम में लगे रहते हैं। इस दौरान कई लोग तो लगातार लंबे समय तक कुर्सी पर बैठे रहते हैं और कम्प्यूटर या लैपटॉप की स्क्रीन को देखते हैं। ऐसे लोगों को अपने काम के दौरान थोड़ी देर के लिए ब्रेक लेकर आराम जरूर करना चाहिए। स्क्रीन से आंखों को हटाकर थोड़ी देर करके सहलाने से भी काफी आराम मिलता है। लंबे समय तक गैजेट्स के संपर्क में रहने से बचना चाहिए। बीच में सिर्फ दो मिनट के लिए अपनी आंखें बंद कर लें।
भावनात्मक आराम
कई बार हम लोग भावनात्मक रूप से भी काफी कमजोर महसूस करते हैं तो ऐसे में आपको भावनात्मक आराम की आवश्यकता है। जिन लोगों से आपका भावनात्मक लगाव ज्यादा रहता है, ऐसे लोगों के संपर्क में रहने का प्रयास करें। दोस्तों के साथ ज्यादा समय बिताएं।
सामाजिक विश्राम
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और बगैर समाज के बिना जीवन में एक अजीब तरह का अकेलापन महसूस होता है और नकारात्मक भाव पैदा होता है। समय समय पर सामाजिक गतिविधियों में भी हिस्सा लेते रहना चाहिए। ऐसा करने से सामाजिक सक्रियता बढ़ता है। नए नए लोगों के संपर्क बनने से जीवन में उत्साह व उमंग भी बना रहता है।
आध्यात्मिक विश्राम
यह अंतिम प्रकार का आराम है, जिसकी व्यक्ति को अत्यधिक आवश्यकता होती है। इस आराम के तहत खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से ऊपर उठना है। आध्यात्मिकता से मन की शांति मिलती है। जीवन में किसी भी प्रकार की अशांति नहीं रहती है।