High Court: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा- फैमिली पेंशन का लाभ अविलंब दिया जाए

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक याचिका का इस निर्देश के साथ निराकरण कर दिया कि फैमिली पेंशन का लाभ अविलंब प्रदान किया जाये। यही नहीं एरियर्स व इंक्रीमेंट का भी लाभ दिया जाये। निर्धारित समयावधि में ऐसा न किये जाने की सूरत में ब्याज सहित राशि का भुगतान करना पड़ेगा। कोर्ट ने साफ किया कि फैमिली पेंशन का प्रावधान इसी मंशा से किया गया है कि परिवार के मुखिया के न रहने पर कोई परिवार आर्थिक परेशानी में फंसे।

इस मामले में जबरन नियमों का हवाला देकर एक परिवार को आर्थिक परेशानी में उलझने छोड़ दिया गया। यह असंवेदनशीलता की हद है। भविष्य में ऐसा न किया जाए। नियम-कायदे सहज-सरल जीवन लाभ के लिए होते हैं, कठिनाई पैदा करने के लिए नहीं। एक दिव्यांग बिना फैमिली पेंशन के बेहद कठिनाई से गुज़र सकती है। इस तथ्य की अनदेखी शर्मनाक है। कम से कम इतनी तो संवेदनशीलता रखी जाए कि कोई दिव्यांग परेशान न हो।

 

न्यायमूर्ति सुजय पॉल की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता रंजना तिवारी की ओर से पक्ष रखा गया। दलील दी गई कि याचिकाकर्ता के पिता शासकीय कर्मी थे। उनका निधन हो जाने के बाद याचिकाकर्ता की मां को फैमिली पेंशन का लाभ मिला। जब मां का निधन हो गया तो याचिकाकर्ता ने फैमिली पेंशन के लिये आवेदन किया। लेकिन फैमिली पेंशन देने से मना कर दिया गया। इसीलिए हाई कोर्ट आना पड़ा। याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि वह 55 वर्ष की होने के अलावा दिव्यांग है। ऐसे में सेवा नियम के अनुसार आवेदन नामंजूर करना अनुचित है। हाई कोर्ट ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद नियमों की रोशनी में याचिकाकर्ता के हक में राहतकारी आदेश पारित कर दिया। पिता और माँ के न रहने के बाद दिव्यांग बेटी को मिला फैमिली पेंशन का लाभ नज़ीर की तरह रेखांकित करने योग्य होगा।

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