IAS Niyaz khan कश्मीर फाइल्स पर दिया था विवादित बयान, अमित शाह भोपाल पहुंचे तो बदल गए IAS के सुर

कश्मीर फाइल्स पर दिया था विवादित बयान, अमित शाह भोपाल पहुंचे तो बदल गए IAS के सुर

द कश्मीर फाइल्स’ (The Kashmir Files) फिल्म के समय विवादित ट्वीट करने वाले आईएएस (IAS) नियाज खान (Niyaz khan) के सुर अब कुछ बदले से नजर आ रहे हैं. शुक्रवार को जब देश के गृह मंत्री अमित शाह भोपाल पहुंचे तब नियाज खान ने आतंकवाद पर अपने कुछ विचार व्यक्त किए. ये विचार अमित शाह के भी एक दिन पहले राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी की स्थापना दिवस पर कहा था.

दरअसल अमित शाह ने एक दिन राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (NIA) के स्थापना दिवस पर कहा था कि आतंकवाद किसी भी सभी समाज के लिए एक अभिशाप है.

”मुसलमानों को आगे आना होगा”
बता दें कि नियाज खान ने अपने ट्वीट में लिखा कि- ”आतंकवाद के वायरस को खत्म करने के लिए मुसलमानों को आगे आना चाहिए. आतंकवाद इस्लाम विरोधी है. दुनिया के दो अरब मुसलमानों का यह कर्तव्य है कि वे आतंकवादियों को मारने के लिए हर संभव प्रयास करें. अतिवाद इस्लाम पर कलंक है.

इस्लामिक चरमपंथियों के खिलाफ लिखी है किताब
हाल ही में उन्होंने इराक में यजीदियों पर नई किताब लिखी है- बी रेडी टू डाई. इसमें उन्होंने बताया है कि नॉर्थ इराक के यजीदी हिंदुओं का ही रूप हैं. वे भी हिंदुओं की तरह सूर्य और अग्नि के उपासक हैं. इस्लामिक चरमपंथियों ने उनका जमकर कत्लेआम किया. आज यह समुदाय अपने अस्तित्व के लिए वहां जूझ रहा है और नरसंहार सह रहा है.

शिवराज सरकार के निशाने पर नियाज खान
बता दें कि द कश्मीर फाइल्स फिल्म को लेकर लगातार ट्वीट करने वाले आईएएस अधिकारी नियाज खान सरकार के मंत्रियों के निशाने पर भी रहे हैं. प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के बाद गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी उन्हें आईएएस अधिकारी को निशाने पर लिया था. उन्होंने सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि नियाज खान मर्यादा लांघ रहे हैं. लक्ष्मण रेखा जो अधिकारियो कि होती हैं, उसका उल्लंघन कर रहे है. सरकार उन्हें इस मामले में कारण बताओ नोटिस जारी करेगी, औऱ उनसे जवाब तलब करेगी.

क्यों आए चर्चा थे में?
द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files) को लेकर IAS अफसर नियाज खान ने ट्वीट कर लिखा था कि अलग-अलग मौकों पर मुसलमानों के नरसंहार को दिखाने के लिए एक किताब लिखने की सोच रहा हूं, ताकि निर्माता कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्म बना सकें. अल्पसंख्यकों के दर्द और पीड़ा को देशवासियों के सामने लाया जा सके.

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