विजयराघवगढ़ -कथा वाचक पं रामराज त्रिपाठी महाराज जी ने बताया कि रुक्मणी और श्रीकृष्ण के विवाह की कथा के मुताबिक, रुक्मणी ने श्रीकृष्ण को अपना पति मन ही मन स्वीकार कर लिया था. रुक्मणी ने श्रीकृष्ण को संदेश भिजवाया था कि वह उनसे प्रेम करती हैं और उनसे ही विवाह करना चाहती हैं. श्रीकृष्ण ने रुक्मणी का संदेश पाकर उनसे विवाह कर लिया.
रुक्मणी और श्रीकृष्ण के विवाह की कथा के बारे में ज़्यादा जानकारी:
रुक्मणी, विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री थीं.
रुक्मिणी ने देवर्षि नारद से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य, और गुणों की प्रशंसा सुनी थी.
रुक्मिणी ने ठान लिया था कि वह सिर्फ़ श्रीकृष्ण से विवाह करेंगी, नहीं तो अपने प्राण त्याग देंगी.
शिशुपाल जब विवाह के लिए द्वार पर आया, तब कृष्ण ने रुक्मिणी का हरण कर लिया.
कृष्ण, शिशुपाल और रुक्म के बीच भयंकर युद्ध हुआ और इसमें कृष्ण विजयी हुए.
कृष्ण ने रुक्मिणी को द्वारकाधीश ले आए और यहीं उनका विवाह हुआ.
आज सुंदर भगवान की झांकी कृष्ण और रुक्मणि स्वरूप में सजाई गई
इस प्रकार से भगवान कृष्ण और रुक्मणि जी का विवाह संपन्न हुआ आसपास गांव देहात से श्रृद्धालु जनों का ताता लगा हुआ है सभी भक्तगण श्रृद्धा भक्ति के रंग में डूबकर श्री मद्भागवत कथा का रसपान कर रहे हैं लोगों में हर्षोल्लास है सभी भक्तगण श्रृद्धा पूर्वक कथा ज्ञानयज्ञ का आनंद उठा रहे हैं आरती पश्चात प्रसाद ग्रहण करके भगवान श्री कृष्ण को नमन कर जा रहे कथा ज्ञानयज्ञ का आज छठवां दिन सफल संपन्न हुआ भगवान श्री कृष्ण की कृपा से
श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का पुण्य लाभ अर्जित कर रहे सभी जन यह जानकारी युवा स्वतंत्र पत्रकार शैलेन्द्र पयासी जी द्वारा साझा की गई