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Insurance Claim: हेल्थ इंश्योरेंस कम्पनियों को सुप्रीम कोर्ट की दो टूक, क्लेम सेटल करने में कोई बहाना नहीं चलेगा

Insurance Claim: हेल्थ इंश्योरेंस कम्पनियों को सुप्रीम कोर्ट की दो टूक, क्लेम सेटल करने में कोई बहाना नहीं चलेगा

Health insurance Policy हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी (Health insurance Policy) देकर किसी बहाने से क्लेम रिजेक्ट करना, अब ऐसा नहीं चलेगा। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मामले पर एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। इससे हेल्‍थ इंश्योरेंस क्‍लेम (health insurance claim) को दावे को लेकर लोगों की परेशानी घटेगी।

क्या है फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने इंश्योरेंस क्‍लेम (Insurance Claim) के एक मामले में कहा है कि कोई बीमा कंपनी पॉलिसी जारी होने के बाद प्रस्ताव फॉर्म में बीमाधारक द्वारा बताई गई मौजूदा मेडिकल कंडीशन का हवाला देकर किसी दावे को खारिज नहीं कर सकती। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्न की पीठ ने यह भी कहा है कि प्रस्तावक का कर्तव्य है कि वह बीमाकर्ता को दी जाने वाली जानकारी में सभी महत्वपूर्ण तथ्यों का खुलासा करे। यह माना जाता है कि प्रस्तावक प्रस्तावित बीमा से संबंधित सभी तथ्यों और परिस्थितियों को जानता है।

पॉलिसी जारी होने के बाद दावे को अस्वीकार नहीं कर सकता
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हालांकि प्रस्तावक केवल वही प्रकट कर सकता है, जो उसे ज्ञात है। लेकिन, प्रस्तावक का प्रकटीकरण कर्तव्य उसके वास्तविक ज्ञान तक ही सीमित नहीं है। यह उन भौतिक तथ्यों तक भी विस्तारित है, जो कामकाज की सामान्य प्रक्रिया में उसे जानना चाहिए। पीठ ने हाल के एक फैसले में कहा, “एक बार बीमाधारक की मेडिकल कंडीशन का आकलन करने के बाद पॉलिसी जारी कर दी जाए तो बीमाकर्ता मौजूदा चिकित्सा स्थिति का हवाला देते हुए दावे को अस्वीकार नहीं कर सकता है, जिसे बीमाधारक ने प्रस्ताव फॉर्म में बताया था।”

क्या है मामला
सुप्रीम कोर्ट मनमोहन नंदा द्वारा राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के एक आदेश के खिलाफ दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी। उसमें अमेरिका में हुए चिकित्सा खर्च के लिए दावा करने संबंधी उनके आवेदन को खारिज कर दिया गया था। नंदा ने ‘ओवरसीज मेडिक्लेम बिजनेस एंड हॉलिडे पॉलिसी’ले रखी थी, क्योंकि उनका इरादा अमेरिका की यात्रा करने का था। सैन फ्रांसिस्को एयरपोर्ट पर पहुंचने पर, उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उन्हें एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में उनकी एंजियोप्लास्टी की गई और हार्ट की कोरोनरी ऑटरीज में रुकावट को दूर करने के लिए तीन स्टेंट डाले गए।

इसके बाद, अपीलकर्ता ने बीमाकर्ता से इलाज पर हुआ खर्च मांगा। बाद में इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि अपीलकर्ता को ‘हाइपरलिपिडिमिया’ और मधुमेह था, जिसका खुलासा बीमा पॉलिसी खरीदते समय नहीं किया गया था। एनसीडीआरसी ने निष्कर्ष निकाला था कि चूंकि शिकायतकर्ता स्टेटिन दवा ले रहा था, जिसका मेडिक्लेम पॉलिसी खरीदते समय खुलासा नहीं किया गया था, इस तरह वह अपने स्वास्थ्य की स्थिति का पूरा खुलासा करने के अपने कर्तव्य का पालन करने में विफल रहा।

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