Intercity Train : पैसेंजर ट्रेन को भी मात दे रही रीवा इंटरसिटी एक्सप्रेस, कटनी से जबलपुर पहुंचने में इसे पौने तीन घंटे लग गए रीवा इंटरसिटी यात्रियों के लिए नासूर बन गई है। 239 किलोमीटर का सफर यह ट्रेन कितनी देर में पूरा करेगी कोई कुछ नहीं कह सकता। इस ट्रेन के नाम पर यात्रियों से सुपरफास्ट का किराया वसूलने वाला रेलवे इसे सवारी गाड़ी से भी बदतर बनाकर चला रहा है। हालांकि उसके हजार बहाने शाश्वत हैं।
रीवा से सुबह छह और जबलपुर से शाम पांच बजकर पांच मिनट पर रवाना होने वाली इस ट्रेन को कभी समय पर रवाना नहीं कराया जा पा रहा। इसी तरह से इसे प्लेटफार्म पर लेने के मामले में भी भेदभाव किया जा रहा है। खासकर जबलपुर आते समय इस सुपरफास्ट ट्रेन को अनेक एक्सप्रेस ट्रेनों क्रास करती हैं।
कोरोना बाद कभी समय पर नहीं
यह ट्रेन कोरोना काल के बाद सामान्य दिन आने पर कभी समय पर नहीं चल पाई। अप-डाउन करने वालों की मानें तो अपवाद स्वरूप कुछ दिनों को छोड़ दें तो बीते सवा साल के दौरान यह गाड़ी कभी समय पर नहीं चली।
ऐसा नहीं कि इस बारे में किसी को पता नहीं है, बल्कि रेलवे के जिम्मेदारों को सब पता है और जो हो रहा है वह उनकी सहमति से ही हो रहा है। अपडाउनरों का कहना है कि इस ट्रेन को जानबूझकर उत्तर और पूर्वोत्तर से आने वाली गाड़ियों से पिटवाया जाता है।
इंटरसिटी की बजाय 10 हजार देना मंजूर
सतना-रीवा और मैहर अंचल से इलाज के लिए जबलपुर आने वाले सक्षम मरीज अब इंटरसिटी पर भरोसा नहीं करते, वो प्रायवेट कार से जबलपुर आने को तरजीह देते हैं। ऐसा होना रेलवे की घटती साख को दर्शाता है।
अब बताते हैं जानबूझकर कैसे…?
ताजा घटनाक्रम मंगलवार 20 दिसंबर का है। रीवा से आने वाली 22190 कटनी तक सुबह 10 बजे पहुंच गई। लेकिन कटनी से जबलपुर पहुंचने में इसे पौने तीन घंटे लग गए। इस ट्रेन को पहले देवरी स्टेशन पर उस गाड़ी से पिटवाया गया, जो तीन स्टेशन पीछे थी।
इसके बाद इसे अधारताल स्टेशन पर फिर इसी तरह से चार स्टेशन पीछे (करीब 40 किलोमीटर दूर) की गाड़ी (12150-दानापुर) से पिटवाने की कोशिश की गई। इसका पता चलते ही दर्जनों यात्रियों ने अधारताल स्टेशन मास्टर के दफ्तर पहुंच कर उग्र विरोध शुरू कर दिया, जिसके बाद कंट्रोलर को सूचना देकर स्टेशन मास्टर ने अधारताल स्टेशन से गाड़ी रवाना करवाई। इसी से साफ हो जाता है कि रेलवे के अधिकारी ही इस गाड़ी को समय पर चलाने गंभीर नहीं हैं।