IRCTC Refund policy कुछ लोग नियम-कायदे के तहत ही रहकर कार्य करना पसंद करते हैं। ऐसे ही शख्स है कोटा के रहने वाले सुजीत स्वामी जिनकी कोशिशों के कारण आईआरसीटीसी को करीब 2.98 लाख यात्रियों को 2.5 करोड़ रुपए चुकाने होंगे। रेलवे से स्वामी की लड़ाई लगभग 5 साल लंबी चली।
दरअसल अप्रैल 2017 को स्वामी की ओर से कोटा से दिल्ली जाने के लिए 2 जुलाई का टिकट बुक कराया था। लेकिन योजना बदलने के कारण उन्होंने 1 जुलाई से पहले ही टिकट को कैंसिल कर दिया। 1 जुलाई से देश में नई टैक्स रेजीम लागू होनी थी, लेकिन उन्होंने जीएसटी लागू होने से पहले ही टिकट को कैंसिल कर दिया था। टिकट 765 रुपए का था, लेकिन रेलवे ने स्वामी को 100 रुपए काटने के बाद 665 रुपए का रिफंड दिया जबकि रेलवे को 65 रुपए ही काटने चाहिए थे। स्वामी ने कहा कि 35 रुपए उनसे सर्विस टैक्स के रूप में चार्ज किए गए जबकि टिकट उन्होंने जीएसटी लागू होने से पहले ही कैंसिल करा दिया था।
पहले किया था इनकार: फिर स्वामी ने 35 रुपए का का रिफंड पाने के लिए रेलवे और वित्त मंत्रालय के पास आरटीआई दाखिल करनी शुरू की। दोनों मंत्रालयों के पास स्वामी ने कुछ समय में 50 से ज्यादा आरटीआई दाखिल की। वही एक आरटीआई के जवाब में आईआरसीटीसी ने कहा कि ट्रेन की टिकट जीएसटी लागू होने से पहले बुक की गई थी और कैंसिल जीएसटी लागू होने के बाद की गई है। बुकिंग के टाइम पर लिया गया सर्विस चार्ज रिफंड नहीं किया जा सकता है।
इसके बाद आरटीआई के जरिए सवाल-जवाब का सिलसिला आगे बढ़ा। वहीं एक आरटीआई के जवाब में कहा गया कि 1 जुलाई 2017 से पहले टिकट बुक किया गया था और फिर उसे कैंसिल कर दिया गया था। इस कारण सर्विस चार्ज वापिस किया जाएगा।
2 रुपए के लिए तीन साल लड़ी लड़ाई: स्वामी ने कहा कि आईआरसीटीसी ने उन्हें 1 मई 2019 को 35 रुपए के सर्विस टैक्स में से 2 काटने के बाद 33 रुपए रिफंड कर दिए थे और तीन साल चली लड़ाई के बाद रेलवे ने 2 रुपए उन्हें वापस कर दिए। वही स्वामी ने बताया कि एक वरिष्ठ आईआरसीटीसी अधिकारी ने उन्होंने जानकारी दी कि रेलवे बोर्ड ने इस दौरान कैंसिल किए गए सभी टिकटों (2.98 लाख) पर रिफंड (35 रुपए) देने का फैसला किया है।