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Jabalpur अधिवक्ता ने की आत्महत्या नाराज वकीलों ने लगाए आरोप, शव लेकर पहुंचे हाईकोर्ट

Jabalpur अधिवक्ता ने की आत्महत्या मजिस्ट्रेट पर वकीलों ने लगाए आरोप, शव लेकर पहुंचे हाईकोर्ट

Jabalpur देश के न्यायिक इतिहास में अपने तरह की पहली घटना आज जबलपुर में घटित हुई यहां हाईकोर्ट के वकील के द्वारा आत्महत्या किये जाने पर बवाल हो गया। नाराज अधिवक्ताओं ने इसे लेकर हाईकोर्ट में जमकर हंगामा किया।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जबलपुर में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के वकील ने शुक्रवार को फांसी लगा ली। इस घटना के बाद साथी वकीलों ने हंगामा कर दिया। बताया जा रहा है कि वकील अनुराग साहू की हाईकोर्ट में जज संजय द्विवेदी की कोर्ट में रेप के आरोपी पुलिस अफसर संदीप अयाची की जमानत के मामले में सुनवाई हुई थी। इस दौरान कोर्ट में लगे लेटर बाक्स में किसी ने इस केस से जुड़े तथ्यों को लेकर एक चिट्ठी डाल दी। अनुराग साहू ने कोर्ट से मामले की जांच की मांग की थी। और काेर्ट में ही जज के सामने उन्होंने लेटर बाक्स में चिट्‌ठी छोड़ने के मामले की जांच नहीं होने पर सुसाइड की बात कही इस बात पर दूसरे पक्ष के अधिवक्ता से तीखी बहस हुई। दूसरे पक्ष ने लैटर बॉक्स मामले में जांच का विरोध किया। सूत्रों के अनुसार यह बहस जज की मौजूदगी में हुई थी। इसी के बाद नाराज होकर एडवोकेट अनुराग साहू, कोर्ट से घर गए और फांसी लगा ली।

मिली जानकारी के अनुसार जमानत आवेदन सुनवाई के दौरान यह सब वाक्या हुआ था। इधर इससे गुस्साए वकील साथी दिवंगत वकील की लाश लेकर हाईकोर्ट पहुंच गए। यहां जज नहीं मिले तो चीफ जस्टिस कोर्ट पहुंच गए।

आक्रोशित वकील घटना की सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे। बताया गया कि वकीलों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करते हुए लाठीचार्ज भी किया है। घटनास्थल पर एसपी, कलेक्टर एवं बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद हैं। पुलिस और वकीलों में भी झगड़ा हुआ है और कई पुलिसकर्मियों को चोट आई हैं।

सुप्रीम कोर्ट कई मर्तबा दे चुका है नसीहत
सुप्रीम कोर्ट ने एक बार नहीं बल्कि कई बार हाईकोर्ट और निचली अदालतों के जजों को अनावश्यक टिप्पणियों से बचने की नसीहत दी है। पिछले साल कोरोना से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, एल नागेश्वर राव, एस. रवींद्र भट की बेंच ने कहा था कि उच्च न्यायालयों के जजों को सुनवाई के दौरान अनावश्यक और बिना सोचे-समझे टिप्पणी करने से बचना चाहिए। क्योंकि वे जो कहते हैं, उनके काफी गंभीर प्रभाव हो सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि जजों को अपनी बात सोच-विचार करके ही कहनी चाहिए। जब हम उच्च न्यायालय के किसी फैसले की आलोचना कर रहे होते हैं, तब भी हम हमारे दिल में क्या है, यह नहीं कहते। संयम बरतते हैं। हम उम्मीद करेंगे कि इन मुद्दों से निपटने के लिए उच्च न्यायालयों को स्वतंत्रता दी गई है। दरअसल, कोरोना मामले में सुनवाई के दौरान मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि कोरोना की दूसरी लहर के लिए चुनाव आयोग सबसे अधिक जिम्मेदार है। उसके अधिकारियों पर हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए। इसी तरह से दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों पर सख्त टिप्पणियां की थीं।

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