मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने नगर परिषद हिंडोरिया, जिला दमोह में कार्यरत रहे दैनिक वेतन भोगी कर्मी गोपाल चौरसिया के हक में राहतकारी आदेश पारित किया। इसके जरिये कहा गया कि चार सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता को पूर्ववत सेवा में लिया जाए।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव व जस्टिस राजीव कुमार दुबे की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता का पक्ष अधिवक्ता संजय वर्मा ने रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता की चुनाव ड्यूटी लगाई गई थी। वह ईमानदारी से कार्य करता रहा। इसके बावजूद उसे एक दिसंबर, 2018 से लगातार बिना किसी कारण के अनुपस्थित दर्शाकर नौकरी से निकाल दिया गया।
इस संबंध में सात जनवरी 2019 को आदेश निकाला गया। इससे व्यथित होकर हाई कोर्ट की शरण ली गई है। सवाल उठता है कि जब इस अवधि के बीच में याचिकाकर्ता चुनाव ड्यूटी में लगा था, जिसका उसने प्रमाण-पत्र भी पेश किया, तो फिर उसे अनुपस्थित दर्शाकर नौकरी से कैसे निकाल दिया गया? मुख्य नगर पालिका अधिकारी, नगर परिषद हिंडोरिया, जिला दमोह का आदेश मनमाना होने के कारण चुनौती के योग्य है। हाई कोर्ट ने तर्क से सहमत होकर याचिकाकर्ता के हक में आदेश पारित कर दिया। जिसमें साफ किया गया कि सात जनवरी, 2019 को जारी आदेश नियमानुसार न होने के कारण निरस्त किया जाता है। लिहाजा, चार सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता को उसी पद पर उन्हीं सेवा शर्तों के साथ नियुक्ति प्रदान की जाए। हालांकि याचिकाकर्ता बीच की अवधि को लेकर किसी तरह के आर्थिक लाभ का अधिकारी नहीं होगा, किंतु उसे उसकी वह नौकरी अवश्यक वापस मिल जाएगी, जो कि अनुचित तरीके से छीन ली गई थी।