JABALPUR RPF (Railway Protection Force) चौकी मदनमहल में पदस्थ आरक्षक गुडि़या यादव 24 वर्ष का फांसी पर झूलता शव मिला, प्रथम दृष्टया आत्महत्या प्रतीत है, पुलिस जांच कर रही है। मंगलवार रात करीब दो बजे घटना का पता चला। बैरिक के दरवाजे तोड़कर शव को बाहर निकाला गया। घटना का पता चलने के बाद गुडि़या के माता-पिता भोपाल से आए और पोस्टमार्टम उपरांत उसका शव लेकर रवाना हो गए।
गुडि़या ने आत्मघाती कदम क्यों उठाया
गुडि़या ने आत्मघाती कदम क्यों उठाया यह रहस्य बना हुआ है। परंतु आरपीएफ बैरिक से मिली उसकी डायरी व मोबाइल की सीडीआर के सहारे पुलिस आत्महत्या के कारणों की तलाश में जुटी है। मदनमहल थाना प्रभारी नीरज वर्मा ने बताया कि आरपीएफ आरक्षक गुडि़या यादव मूलत: भोपाल की निवासी थी।
करीब डेढ़ साल पूर्व बतौर आरक्षक उसकी पदस्थापना आरपीएफ चौकी मदनमहल में हुई थी। जो रेलवे कालोनी टाइप-4 में अन्य महिला जवानों के साथ रहती थी। मंगलवार रात करीब 12 बजे वह अपने कमरे में किसी से तेज आवाज में बात कर रही थी। जिसके बाद काफी देर तक उसकी आवाज सुनाई नहीं दी। रात करीब दो बजे गुडि़या के कमरे के बगल वाले कमरे में रहने वाली RPF की महिला सब इंस्पेक्टर के पास भोपाल से आशीष यादव का फोन आया। उसने बताया कि आरक्षक गुडि़या से वह बात करना चाहता है। परंतु वह फोन नहीं उठा रही है। कोई जरूरी काम बताकर आशीष ने गुडि़या से बात करने के लिए कहा। जिसके बाद सब इंस्पेक्टर ने गुडि़या के कमरे का दरवाजा खटखटाया और उसे आवाज लगाई।
जब भी आंखें बंद करती हूं गुलाबी साड़ी में दादी नजर आती हैं
यह लिखा डायरी में : जब भी आंखें बंद करती हूं गुलाबी साड़ी में दादी नजर आती हैं। जब मैं भोपाल गई थी तब दादी उसी साड़ी में घर के बाहर तक छोड़ने आई थीं। नाना, नानी, मामा, दादा, दादी सबकी मौत हो गई…। आरपीएफ बैरक में फांसी लगाकर जान देने वाली महिला आरक्षक गुडि़या यादव द्वारा लिखी गई डायरी इस तरह के मार्मिक प्रसंगों से भरी पड़ी है। 2021 में उसकी दादी की मौत हो गई थी। वह ज्यादातर अपने नाना, नानी व दादा दादी के पास रहती थी।