कटहल की खेती : अब आप भी मोटी रकम कमाना चाहते है तो करे ये खेती पैसे सावड़ते थक जाएंगे कटहल एक तरह की सदाबहार फसल है. देश में कटहल (Jackfruit) की बड़े पैमाने पर खेती होती है. कटहल का इस्तेमाल फल और सब्जी दोनों के रूप में किया जाता है. इसमें कई तरह के पोषक तत्व भी पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर के लिए फायदेमंद हैं. बाजार में कटहल की कीमत भी अच्छी मिल जाती है. ऐसे में किसानों के लिए कटहल की खेती (Jackfruit Cultivation) खेती कमाई का अच्छा जरिया बन सकता है. कटहल की खेती शुरू करने के लिए ज्यादा पैसे की जरूरत नहीं है. एक हेक्टेयर में कटहल की खेती करने की लागत 40,000 रुपये आती है. साथ ही, इसकी खेती के लिए ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं पड़ती है. बिना किसी निगरानी के कटहल को उगाया जा सकता है. ऐसे में कटहल की खेती किसी भी तरह के मौसम में की जा सकती है. झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश सहित लगभग सभी राज्यों में कटहल के बाग- बगीचे हैं.
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कटहल की खेती : अब आप भी मोटी रकम कमाना चाहते है तो करे ये खेती पैसे सावड़ते थक जाएंगे
अधिकांश किसानों को लगता है कि बागवानी में सिर्फ आम, अमरूद, लीची, केला, जामुन, अंगूर और सेब जैसी फसलों की खेती से ही अच्छी कमाई की जा सकती है, लेकिन ऐसी बात नहीं है. अगर किसान भाई चाहें, तो कटहल की खेती से भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. कटहल एक ऐसी फसल है, जिसका उपयोग फल और सब्जी दोनों रूप में किया जाता है.शबला सेवा संस्थान गोरखपुर के संस्थापक अविनाश कुमार का कहना है कि कटहल की खेती के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त है. काली व चिकनी मिट्टी में भी कटहल की खेती संभव है. लेकिन वर्षा समय में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए. कटहल की खेती जलभराव क्षेत्र में संभव नहीं है. अधिक पानी भराव क्षेत्र में कटहल का पौधा सूख जाता है. इसलिए किसानों को इसका विशेष ध्यान रखना है. शाकाहारी लोग कटहल की सब्जी खाकर नॉनवेज का लुत्फ उठाते हैं. ऐसी भी मार्केट में कटहल की डिमांड हमेशा रहती है. अगर किसान भाई कटहल की खेती करते हैं, तो उनकी आय में बढ़ोतरी हो जाएगी.उनके मुताबिक, एक हेक्टेयर में करीब 150 पौधा का रोपण करना चाहिए. पौधा से पौधा की दूरी 35 से 40 फीट और पौधा के पंक्ति की दूरी भी 35 से 40 फीट होनी चाहिए. कटहल का पौधा रोपण का उचित समय जून या जुलाई माह है. इन महीनों में सिंचाई के लिए होने वाले खर्च और श्रम की बचत होती है.
कटहल की खेती : अब आप भी मोटी रकम कमाना चाहते है तो करे ये खेती पैसे सावड़ते थक जाएंगे
कटहल में विटामिन और मिनरल प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसमें विटामिन बी6, विटामिन सी, नियासिन और राइबोफ्लेविन जैसे विटामिन पाए जाते हैं. इसके अलावा इसमें कैल्शियम, सोडियम, आयरन,पोटैशियम, फास्फोरस और जिंक जैसे कई मिनरल्स भी मौजूद होते हैं. यही वजह है कि कटहल खाने से इंसान स्वस्थ्य और अंदर से मजबूत रहता है. तो आज जानते है कटहल की खेती करने के वैज्ञानिक तरीके.
कटहल एक तरह की सदाबहार फसल है. ऐसे में कटहल की खेती किसी भी तरह के मौसम में की जा सकती है. झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश सहित लगभग सभी राज्यों में कटहल के बाग- बगीचे हैं.
Jackfruit Farming: कटहल की खेती से हो जाएंगे मालामाल, एक हेक्टेयर में होगी 4 लाख की इनकम कटहल की खेती के साथ आप मिश्रित खेती हमेशा कर सकते हैं. इतनी दूरी रखने से किसान चाहें तो मिश्रित खेती दस सालों तक कर सकते हैं. 4 से 5 साल बाद कटहल के पौधा में फल लगने शुरू हो जाता है. मिश्रित खेती करने से किसानों को आर्थिक नुकसान शुरुआत के चार या पांच वर्ष तक नहीं होता है. जब कटहल के पौधा में फल आना शुरू होता है तो मिश्रित खेती से आने वाली आय किसान का बोनस हो जाता है.
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कटहल की खेती : अब आप भी मोटी रकम कमाना चाहते है तो करे ये खेती पैसे सावड़ते थक जाएंगे
अधिकांश किसानों को लगता है कि बागवानी में सिर्फ आम, अमरूद, लीची, केला, जामुन, अंगूर और सेब जैसी फसलों की खेती से ही अच्छी कमाई की जा सकती है, लेकिन ऐसी बात नहीं है. अगर किसान भाई चाहें, तो कटहल की खेती से भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. कटहल एक ऐसी फसल है, जिसका उपयोग फल और सब्जी दोनों रूप में किया जाता है. शाकाहारी लोग कटहल की सब्जी खाकर नॉनवेज का लुत्फ उठाते हैं. ऐसी भी मार्केट में कटहल की डिमांड हमेशा रहती है. अगर किसान भाई कटहल की खेती करते हैं, तो उनकी आय में बढ़ोतरी हो जाएगी.
कटहल में विटामिन और मिनरल प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसमें विटामिन बी6, विटामिन सी, नियासिन और राइबोफ्लेविन जैसे विटामिन पाए जाते हैं. इसके अलावा इसमें कैल्शियम, सोडियम, आयरन,पोटैशियम, फास्फोरस और जिंक जैसे कई मिनरल्स भी मौजूद होते हैं. यही वजह है कि कटहल खाने से इंसान स्वस्थ्य और अंदर से मजबूत रहता है. तो आज जानते है कटहल की खेती करने के वैज्ञानिक तरीके कटहल की प्रजाति खजवा, सिंगापुरी, गुलाबी, रुद्राक्षी आदि हैं. इसके अलावा बारहमासी कटहल की खेती भी सफलता पूर्वक की जा सकती है. बारहमासी कटहल से अधिक मुनाफा होता है. शबला सेवा संस्थान, गोरखपुर के अध्यक्ष किरण यादव का कहना है कि हमारी संस्था किसानों को लागत मूल्य पर कटहल का पौधा उपलब्ध करवाती है. संस्था बारहमासी कटहल का पौधा भी लागत मूल्य पर किसान को देती है.
कटहल एक तरह की सदाबहार फसल है. ऐसे में कटहल की खेती किसी भी तरह के मौसम में की जा सकती है. झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश सहित लगभग सभी राज्यों में कटहल के बाग- बगीचे हैं. अंग्रेजी में इसे जैकफ्रूट कहा जाता है. अगर किसान भाई जैकफ्रूट की खेती करना चाहते हैं, तो दोमट मिट्टी पर इसकी फार्मिंग कर सकते हैं. कटहल के खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए. गुलाबी, खाजवा, रसदार, सिंगापुरी और रुद्राक्षी कटहल के महत्वूपर्ण किस्म हैं. इसका उपयोग फल के रूप में, सब्जी के रूप में और औषधी के रूप में भी किया जाता है.
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कटहल की खेती करने के लिए पहले खेत की गहरी जुताई की जाती है. इसके बाद खाद के रूप में खेत में गोबर डाला जाता है. फिर समान दूरी पर गड्ढे खोदकर कटहल के पौधे लगा दिए जाते हैं. फिर, 15 दिन के बाद इसकी सिंचाई की जाती है. अगर आप चाहें तो खाद के रूप में वर्मी कंपोस्ट और नीम की खली का भी उपयोग कर सकते हैं. अगर आप अपने बाग में बीजसहित कटहल की खेती कर रहे हैं, तो 6 साल में फल आने शुरू हो जाएंगे. वहीं, गूटी तरीक से खेती करने पर कम समय में ही कटहल के बाग में फल आने शुरू हो जाते हैं. एक हेक्टेयर में 150 तक कटहल के पौधे लगाए जा सकते हैं. इस तरह आप एक हेक्टेयर में कटहल की खेती कर साल में 4 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं.