Jubin Nautiyal हिंदी सिने संगीत और लोकप्रिय स्वतंत्र संगीत में जुबिन नौटियाल ने उत्तराखंड का नाम पूरी दुनिया में मशहूर कर दिया है। इधर उनके गाने लगातार आ रहे हैं। म्यूजिक वीडियो में भी वह दिख रहे हैं और इन सबके चलते उनके स्टेज शो की फीस भी लगातार बढ़ती जा रही है। मंचीय प्रस्तुतियों के लिए ये गाने ही किसी गायक का शोकेस होते हैं और इस बार जुबिन ने अपने शोकेस मैं रैप को भी शामिल करने का मन बनाया है। अपने नए गाने ‘मीठी मीठी’ में जुबिन रैप कर रहे हैं। वह कहते है, ‘पहले मुझे लगता था कि रैप बहुत आसान होता है, लेकिन अब पता चला कि ये एक विधा है जिसमें सुर साधना मुश्किल होता है।’
Jubin Nautiyal
जुबिन नौटियाल की पहचान ज्यादातर रोमांटिक गानों की वजह से रही है। वह कहते हैं, ‘हर कलाकार अपने कंफर्ट जोन से निकल कर कुछ नया करने की कोशिश करता है। इस बार मैने भी कुछ अलग करने की कोशिश की है। मेरी कोशिश यही रहती है कि हर गाने में आत्मा हो, लेकिन यह तभी संभव हो पाता है, जब इसके पीछे गीतकार और संगीतकार की अपनी मेहनत होती है। देखा जाए तो किसी भी गाने में मेरी तो सिर्फ आवाज होती है। अगर गाने में आत्मा आती है तो इसका पूरा क्रेडिट गीतकार और संगीतकार को जाता है।’
‘मीठी मीठी’ का थीम है कि छुट्टियां मनाने के लिए बाहर जाना जरूरी नहीं है। आपस में प्यार हो तो वक्त कहीं भी हसीन हो सकता है। जुबिन के मुताबिक, ‘हम घर पर भी छुट्टियां मना सकते हैं, जरूरी नहीं कि रोमांस के लिए किसी हिल स्टेशन या गोवा ही जाएं। कोरोना काल में हम सब परिवार के साथ रहे है। इससे पहले भाग दौड़ भरी जिंदगी में हम अपने परिवार को समय नहीं दे पा रहे थे, जिससे रिश्तों में थोड़ी सी कड़वाहट आ गई थी। कोरोना काल में हमने रिश्तों की अहमियत को सीखा है।’
जुबिन नौटियाल अपने गानों के वीडियो में अक्सर खुद ही नजर आते हैं। जब उनसे पूछा गया कि मौका मिले तो वह दीपिका पादुकोण और आलिया भट्ट में से किसके साथ स्क्रीन शेयर करना चाहेंगे? उन्होंने कहा कि अगर मौका मिला तो दीपिका पादुकोण के साथ स्क्रीन शेयर करना चाहूंगा, लेकिन सिर्फ म्यूजिक वीडियो में फिल्मों में नही। अपनी बात को और स्पष्ट तौर पर करते हुए जुबिन ने कहा कि फिल्मों में मुझे एक्टिंग नहीं करनी है, सिर्फ म्यूजिक वीडियोज तक ही ठीक हूं।
गायकी की दुनिया में शीर्ष पर पहुंचने के बाद भी जुबिन नौटियाल अब भी जमीन से जुड़े रहने की कोशिश करते हैं। वह कहते हैं, ‘मैं उत्तराखंड का रहने वाला हूं। मैंने पहाड़ों से सीखा है कि ऊंचा होने के बाद भी कैसे सहज रहना चाहिए। मेरे कुछ दोस्त कहते हैं कि इंसान को इतना भी सहज और सरल नहीं होना चाहिए कि लोग उसका फायदा उठा सकें। मैं मानता हूं कि मेरी सहजता का बहुत लोगों ने फायदा उठाया है, लेकिन कुछ लोगों के लिए मैं अपने स्वभाव को नहीं बदल सकता।’