Judgement Order: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया है। इस हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे दोषियों की समय से पहले रिहाई की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी को रिहा करने का आदेश दिया।
उम्रकैद की सजा के लिए 2018 की सलाह राज्यपाल पर बाध्यकारी
इससे पहले इस मामले में न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने मामले को आज के लिए स्थगित कर दिया था। दरअसल, तमिलनाडु सरकार ने राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों नलिनी श्रीहरन और आरपी रविचंद्रन की समय से पहले रिहाई का समर्थन करते हुए कहा था कि उनकी उम्रकैद की सजा के लिए 2018 की सलाह राज्यपाल पर बाध्यकारी है।
राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत
दो अलग-अलग हलफनामों में राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया था कि 9 सितंबर, 2018 को हुई कैबिनेट की बैठक में उसने मामले में सात दोषियों की दया याचिकाओं पर विचार किया था और राज्यपाल से अपनी शक्तियों का प्रयोग करके उनकी आजीवन कारावास की सजा में छूट की सिफारिश की थी। हलफनामें में कहा गया था कि श्रीहरन, रविचंद्रन, संथन मुरुगन, एजी पेरारिवलन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है और उन्होंने 23 साल से अधिक समय जेल में बिताया है।
राज्य सरकार ने कहा था कि वह अनुच्छेद 161 के तहत श्रीहरन और रविचंद्रन द्वारा दायर याचिका पर निर्णय लेने के लिए सक्षम है और 9 सितंबर, 2018 को राज्य कैबिनेट का निर्णय अंतिम है और राज्यपाल इसे मान सकते हैं।
श्रीहरन 30 साल से अधिक समय से वेल्लोर में महिलाओं के लिए एक विशेष जेल में बंद
श्रीहरन 30 साल से अधिक समय से वेल्लोर में महिलाओं के लिए एक विशेष जेल में बंद है, जबकि रविचंद्रन मदुरै के केंद्रीय कारागार में बंद हैं और उसे 29 साल की कारावास और छूट सहित 37 साल की कैद हुई है।
शीर्ष अदालत ने 26 सितंबर को श्रीहरन और रविचंद्रन की समय से पहले रिहाई की मांग वाली याचिका पर केंद्र और तमिलनाडु सरकार से जवाब मांगा था। दोनों ने मद्रास हाई कोर्ट के 17 जून के एक आदेश को चुनौती दी है, जिसने उनकी जल्द रिहाई के लिए याचिका खारिज कर दी थी, और सह-दोषी पेरारिवलन की रिहाई के आदेश देने वाले शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला दिया।