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मात्र एक बार करे खर्च और करे यह खेती पैसे गिनते थक जाओगे होंगा इतना मुनाफा

मात्र एक बार करे खर्च और करे यह खेती पैसे गिनते थक जाओगे होंगा इतना मुनाफा

मात्र एक बार करे खर्च और करे यह खेती पैसे गिनते थक जाओगे होंगा इतना मुनाफा जमीन पर कटहल की खेती शुरू की, जिससे 20 लाख रुपए प्रति साल की आमदनी कर उसने अन्य लोगों को भी खेती करने पर मजबूर कर दिया। उसकी सफलता के बाद गाँव के अन्य लोगों ने भी कटहल की खेती शुरू की है।

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मात्र एक बार करे खर्च और करे यह खेती पैसे गिनते थक जाओगे होंगा इतना मुनाफा

हस्तिनापुर ब्लॉक के गाँव रानीनंगला निवासी मनोज पोसवाल बताते हैं, “मैंने 2010 में प्राइवेट कंपनी में जॉब शुरू की थी, लेकिन बॉस की रोजाना की चिकचिक के चलते जॉब को महज एक साल में ही अलविदा कह दिया। रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया।

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मात्र एक बार करे खर्च और करे यह खेती पैसे गिनते थक जाओगे होंगा इतना मुनाफा

इसके बाद मन में तकनीकी रूप से खेती करने की आई, लेकिन घरवालों व गाँव वालों के भय से हिम्मत नहीं जुटा पाया। पिता जी से जिक्र किया तो उन्होने कहा, जब खेती ही करनी थी तो एमएससी करने की क्या जरूरत थी। सबकी परवाह किए बगैर दस बीघा जमीन पर कटहल का बाग लगा दिया

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अच्छे पैकेज की प्राइवेट जॉब छोड़ किसान ने पुस्तैनी जमीन पर की खेती शुरू की, जिससे 20 लाख रुपए प्रति साल की आमदनी कर उसने अन्य लोगों को भी खेती करने पर मजबूर कर दिया। उसकी सफलता के बाद के अन्य लोगों ने भी कटहल की खेती शुरू की है।

हस्तिनापुर ब्लॉक के गाँव रानीनंगला निवासी मनोज पोसवाल बताते हैं, “मैंने 2010 में प्राइवेट कंपनी में जॉब शुरू की थी, लेकिन बॉस की रोजाना की चिकचिक के चलते जॉब को महज एक साल में ही अलविदा कह दिया। रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया।

इसके बाद मन में तकनीकी रूप से खेती करने की आई, लेकिन घरवालों व गाँव वालों के भय से हिम्मत नहीं जुटा पाया। पिता जी से जिक्र किया तो उन्होने कहा, जब खेती ही करनी थी तो एमएससी करने की क्या जरूरत थी। सबकी परवाह किए बगैर दस जमीन पर कटहल का बाग लगा दिया।

मनोज बताते हैं, “पिता जी के साथ गाँववालों ने भी उसे पागल बताया, लेकिन वह एक-एक कर कटहल के पेड़ों को बड़ा होने का इंतजार करने लगा। मैंने स्टडी के दौरान पढ़ा था कि चार साल बाद पेड़ फल देने लगता है। 2014 में पहली बार पेड़ों ने फल देना शुरू किया। पहले ही वर्ष करीब नौ लाख का कटहल मैंने बेचा। अगली बार आमदनी बढ़कर 15 लाख और इस बार करीब 22 लाख रुपए का कटहल बेचा।”

मनोज ने बताया कि बागवानी के बाद चार साल का सयंम रखना पड़ता है। इस दौरान आप नीचे खाली पड़ी जमीन और खेती कर सकते हैं। इसके बाद 45 साल तक पेड़ फल देते हैं, हां समय-समय पर जरूरी दवाइयों का छिड़काव करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि कटहल को वैजेटेरियन मीट के नाम से भी जाना जाता है। जिस वक्त योगी सरकार ने मीट की दुकानों पर पाबंदी लगा दी थी, उस वक्त कटहल की बहुत डिमांड बढ़ गई थी।

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