Kashi Tamil Samagam Train In Katni: कटनी। आज शाम कटनी आएगी काशी-तमिल समागम ट्रेन, रेलवे स्टेशन पर दिखेगा दक्षिण एवं भारतीय संस्कृति का नजारा काशी-तमिल संगमम कार्यक्रमों की श्रंखला में रामेश्वरम से चलकरदृ बनारस की ओर जाने वाली गाड़ी संख्या 22535 में यात्रा करने वाले दक्षिण भारतीय यात्री प्रतिनिधियों का पहला जत्था आज शुक्रवार 18 नवंबर की शाम 5 बजे के लगभग कटनी स्टेशन पहुंचेगा।
स्टेशन में काशी तमिल संगमम प्रतिनिधियों का स्वागत सत्कार किया जायेगा। इस ट्रेन को तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन.रवि तथा केन्द्रीय सूचना और प्रसारण तथा मत्स्य और पशुपालन राज्य मंत्री डॉ एल मुरुगन द्वारा चेन्नई एग्मोर स्टेशन पर गतदिवस हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया है।
गौरतलब है कि काशी-तमिल संगमम कार्यक्रमों की निरंतर श्रंखला में दक्षिण भारत से काशी के लिए 13 ट्रेन सेवाएं चलाई जा रही हैं।
जिसमे संगमम के तहत रामेश्वरम, तिरुचिरापल्ली, कोयम्बटूर, चेन्नई से यात्रीगण अपनी यात्रा शुरू करेंगे। पहली ट्रेन जबलपुर रेल मंडल के जबलपुर स्टेशन पर आज 18 नवम्बर शुक्रवार को दोपहर 15:35 बजे, कटनी स्टेशन पर शाम 16:55 बजे एवं सतना स्टेशन पर शाम 18:20 बजे होते हुए बनारस के लिए रवाना होगी।
ट्रेन आजादी के अमृत महोत्सव का हिस्सा
काशी-तमिल संगम 2022 आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में भारत सरकार की एक पहल है। यह एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना का उत्सव होगा और तमिल भाषा के साथ-साथ भारतीय संस्कृति का भी उत्सव मनाया जा रहा है। जिसका एक नजारा शहर के स्टेशन पर भी देखने को मिलेगा।
21 स्टेशनों पर रूकेगी ट्रेन
उल्लेखनीय है कि काशी और तमिलनाडु के बीच ज्ञान के सदियों पुराने बंधन और प्राचीन सभ्यतागत जुड़ाव को फिर से खोजने के लिए वाराणसी में 17 नवंबर से 16 दिसंबर तक महीने भर चलने वाला काशी तमिल संगमम कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है । इन ट्रेन सेवाओं में तमिलनाडु के कुल 2592 प्रतिनिधि शामिल होंगे जिसके प्रत्येक रेक में 216 यात्री होंगे तथा यह ट्रेन मार्ग में 21 स्टेशनों पर रुकेंगी।
यात्रा के उद्देश्य पर एक नजर
उक्त यात्रा का उद्देश्य आईआईटी चेन्नई और बीएचयू के कार्यक्रम के हिस्से के रूप में भारतीय संस्कृति की दो प्राचीन अभिव्यक्तियों के विभिन्न पहलुओं पर विशेषज्ञों विद्वानों के बीच अकादमिक आदान-प्रदान-सेमिनार, चर्चा आदि दोनों के बीच संबंधों और साझा मूल्यों को सामने लाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। व्यापक उद्देश्य दो ज्ञान और सांस्कृतिक परंपराओं को करीब लाना, हमारी साझा विरासत को बनाना और समझना और क्षेत्रों के बीच लोगों से लोगों के बंधन को गहरा करना है।