Katni Nadi Pul : बहुप्रतीक्षित कटनी नदी पुल का सादे समारोह में शहर की बेटी याशिका मलिक ने किया शुभारंभ

Katni Nadi Pul :14 साल में बन पाए कटनी नदी पुल से आवागमन शुरू

Katni Nadi Pul कटनी में विपक्ष के लिए हमेशा ही मुद्दा रहे कटनी नदी पुल से अंततः आज से आवागमन शुरू हो गया। करीब 14 साल में बन पाए कटनी नदी पुल का साधारण रूप से शुभारंभ किया गया। इस तरह कटनी की बहुप्रतीक्षित मांग पूरी हुई। विधायक संदीप जायसवाल, निगमाध्यक्ष मनीष पाठक, भाजपा नेता अश्वनी गौतम, संदीप दुबे, महेश शुक्ला आदि की उपस्थिति में पुल का शुभारंभ शहर की बेटी याशिका मलिक ने मंत्रोच्चार के बीच उद्घाटन किया। फिर यशिका अपनी स्कूटी से पुल से होकर निकलीं।

आपको बता दें कि 14 वर्षों से बनने वाला विवादो से घिरा पुल बन कर तैयार हुआ। बीते दिनों में लोकनिर्माण विभाग सेतु विभाग भार क्षमता का परीक्षण करने में लगा था। विभाग पुल पर 75 टन तक के वाहनो के भार सहने की क्षमता का परीक्षण कर रहा था जिसके लिए पुल के नीचे गेज लगा कर रोडिग की जा रही थी यह प्रक्रिया कुछ दिनों तक की गई । जिसके  बाद आज लोक निर्माण विभाग निगम सेतु विभाग ने इसे आम जनता के लिए खोल दिया। इससे अब आम नागरिको, वाहनो आदि का आगमन शुरू हो जाएगा।

कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग सेतु निर्माण जबलपुर नरेंद्र शर्मा ने बताया कि लगातार लोड बढ़ाकर और डायल गेज से रीडिंग की गई। पुल के नीचे डायल गेज लगाया गया है ताकि वैज्ञानिक सम्मत ढंग से पुल की गुणवत्ता की पुख्ता जांच की जा सके। जनहित व सुरक्षा एवं सावधानी के मद्देनजर हर दृष्टि से उपयुक्त पाए जाने पर पुल आमजन और यातायात के लिए आज से शुरू हुआ। पुल के भार वहन क्षमता की जांच हेतु पुल के ऊपर 24 घंटे तक वजन रखा गया फिर उसके बाद गुरुवार को धीरे-धीरे अनलोड किया गया।

Katni Nadi Pul कब क्या हुआ

पुल निर्माण के लिए राज्य शासन ने प्रस्ताव को स्वीकृत दी थी। 11 मार्च 2008 को भूमि पूजन किया गया था। जिसके बाद पुल को बनाने के लिए 18 महीने का समय तय किया गया था। तब पुल की डिजाइन धनुषाकार थी। लेकिन ठेकेदार ने धनुषाकार पुल निर्माण कराने में असमर्थता जाहिर कर दी। जिसके बाद पुल की ड्राइंग डिजाइन बदली गई।

2008 में प्रारंभ हुई पुल निर्माण की प्रक्रिया, 2011 में ठेकेदार राम सज्जन शुक्ला को जारी हुआ वर्कआर्डर।
– 2013 में ठेकेदार ने पुल बनाना शुरू किया। दो साल विलंब पर अधिकारियों ने मुआवजा व अन्य बातों को कारण बताया।
– 90 मीटर लंबी पुल के लिए फाउंडेशन बन जाने के बाद अधिकारियों ने कहा पुल का ड्राइंग डिजाइन उपयुक्त नहीं है और धनुषाकार बनाने से लेकर अन्य स्वरुप देने का प्रयास तेज हुआ।
– 2 साल से ज्यादा समय नई ड्राइंग तैयार में होने लगा। फिर निर्णय लिया गया कि 45-45 मीटर के दो हिस्से में पुल बनेगा।
– 2016 में नई ड्राइंग डिजाइन से पुल निर्माण का प्रपोजल भेजा गया, 2017 में पुल निर्माण का काम फिर शुरू हुआ।
– 24 जुलाई 2019 को ढलाई के कुछ दिन बाद ही एक हिस्सा धंसक गया। तत्कॉलीन लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के निर्देश पर सेतु निगम के चार अधिकारियों को निलंबित कर जांच बैठाई गई.
– 27 जुलाई 2019 को मुख्य अभियंता भोपाल एआर सिंह के नेतृत्व में जांच हुई। पाया गया तार खींचने में चूक हुई थी। इसके बाद डेमेज हिस्से को तोडऩे की प्रक्रिया चली।
– 30 जून की रात रायपुर से एक एजेंसी की मदद से पुल के धसके हिस्से को तोड़ा गया। एक काम 1 जुलाई की सुबह तक चला।
– खराब हिस्सा टूटने के बाद ठेकेदार को फिर से काम करने कहा गया और जून 2021 में काम पूरा करने की हिदायत दी गई।

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