दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने सरकार पर उनके समुदाय के लिए सहानुभूति में कमी होने का आरोप लगाया है और उन किसानों के लिए एक दिन के शोक की घोषणा की है, जिनकी वो आंदोलन के दौरान मृत्यु होने का दावा कर रहे हैं.
35 किसान संगठनों ने कहा है कि 26 नवंबर से शुरू हुए किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 20 किसानों के लिए रविवार को देश भर के गांवों में शोक मनाया जाएगा.
भारतीय किसान यूनियन (सिद्धपुर) के अध्यक्ष जगजीत सिंह ने कहा, “26 नवंबर से शुरू हुए इस आंदोलन के बाद से हर दिन औसतन एक किसान की मौत हुई है. हम देश के सभी गांवों में 20 दिसंबर को इस दौरान शहीद हुए सभी किसानों को श्रद्धांजलि देंगे. जब उनके नाम और तस्वीरें गांवों में पहुंचेगी तो हमारे संघर्ष में जुड़ने के लिए और लोग सामने आएंगे.”
मंगलवार को पंजाब के मोहाली और पटियाला जिलों में और उसके आसपास दो अलग-अलग सड़क दुर्घटनाओं में चार किसानों की मौत हो गई. इन किसानों की मौत का मामला मंगलवार को सिंघु बॉर्डर पर चर्चा का विषय बना रहा, जहां गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तराखंड के किसान भी आंदोलन में शामिल होने पहुंचे.
मंगलवार को जिस दिन किसान संगठनों ने अपनी योजनाओं की घोषणा की, उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि किसान संगठन और कभी ख़ुद ही इन क़ानूनों की मांग करने वाला विपक्ष किसानों को भ्रमित कर रहा है. इसकी प्रतिक्रिया में किसानों ने सरकार पर किसान समुदाय के लिए सहानुभूति की कमी होने का आरोप लगाया.
किसान नेताओं ने ये भी कहा कि केंद्र पर उनके बनाए दबाव का ही नतीजा है कि सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र को रद्द करने का फ़ैसला किया है. उन्होंने कहा कि सत्र रद्द कर सरकार विपक्ष के सवालों से बचना चाहती है.
भारतीय किसान संघ (टिकैत) के महासचिव युधवीर सिंह सेहरावत ने कहा, “हमने प्रधानमंत्री को चुनकर उन्हें बोलने की शक्ति दी और पिछले 20 दिनों में अब तक उन्होंने हमारे लिए कुछ नहीं कहा.”