Madhya Pradesh News: भोपाल । मध्य प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब शपथ समारोह में मंच पर दो राज्यपाल एक साथ दिखाई दिए हों। ऐसी परंपरा रही है कि मौजूदा और नवनियुक्त दो राज्यपाल कभी एक मंच पर नहीं आते हैं। गुरुवार को यह परंपरा उस समय टूट गई, जब प्रदेश के नवनियुक्त राज्यपाल मंगूभाई पटेल के शपथ ग्रहण समारोह में प्रदेश की कार्यवाहक एवं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी मंच पर थीं।
राजभवन की नियम-परंपराओं के जानकारों के अनुसार ऐसी परंपरा रही है कि जब भी प्रदेश में नए राज्यपाल की नियुक्ति होती है, या राज्यपाल की सेवानिवृत्ति हो, तब निवृतमान राज्यपाल उनके आने से पहले राजभवन (शहर) छोड़ देते हैं। निवृतमान राज्यपाल सूर्योदय के साथ राजभवन से विदाई लेते हैं और सूर्यास्त (शाम के समय) के समय नवनियुक्त राज्यपाल राजभवन में प्रवेश करते हैं। निवृतमान और नवनियुक्त राज्यपाल का कभी आमना-सामना नहीं होता है।
लंबे समय तक राजभवन में पदस्थ रहे पूर्व जनसंपर्क अधिकारी सुरेश अवतरमानी बताते हैं कि कोई लिखित नियम तो नहीं है, पर व्यवहार में यही है कि नए राज्यपाल को जब प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश शपथ दिलाते हैं, उससे पहले निवृतमान राज्यपाल राजभवन छोड़ देते हैं। प्रदेश में कार्यवाहक राज्यपाल के कार्यकाल में भी इसी व्यवहार का पालन होता रहा है। मैंने तो दो राज्यपाल को एक मंच पर पहली बार देखा है।
अवतरमानी कहते हैं कि छह मई 2003 को भाई महावीर का कार्यकाल पूरा हो गया था। सात मई 2003 को नए राज्यपाल रामप्रकाश गुप्त को शपथ लेना थी तो भाई महावीर छह मई को ही दिल्ली रवाना हो गए थे। उसी शाम को गुप्त भोपाल पहुंचे तो शपथ से पहले राजभवन के गेस्ट हाउस में रुके थे। यह भी उसी व्यवहार का हिस्सा है।
एक मई 2004 को गुप्त का निधन हुआ तो छत्तीसगढ़ के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल श्रीकृष्ण मोहन सेठ को मध्य प्रदेश का अतिरिक्त प्रभार दिया गया। तब भी सेठ की शपथ तब हुई, जब गुप्त का शव लेकर तत्कालीन मंत्री बाबूलाल गौर उत्तर प्रदेश रवाना हो गए थे। फिर डॉ. बलराम जाखड़ को प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया और उन्होंने 30 जून 2004 को शपथ ली। इस कार्यक्रम में प्रभारी राज्यपाल सेठ शामिल नहीं हुए थे।