Maharashtra Political Crisis: महाविकास अघाड़ी में फिर दिखने लगी दरार ? अगले कुछ दिन महत्वपूर्ण

Maharashtra Political Crisis: महाविकास अघाड़ी में फिर दिखने लगी दरार ? अगले कुछ दिन महत्वपूर्ण

Maharashtra Political Crisis जहां कर्नाटक में हिजाब विवाद का मुद्दा गरमाया था, वहीं गुजरात में पाठ्यक्रम बदलाव और अन्य मुद्दों की वजह से सियासी सरगर्मियां बरकरार थीं। एक और राज्य महाराष्ट्र में पिछले करीब दो महीने से भाजपा 10 मार्च के बाद राजनीतिक भूचाल लाने की चेतावनी दे रही थी। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के इन बयानों को पहले तो  सत्तासीन महाविकास अघाड़ी (एमवीए) में शामिल शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस ने हंसी में उड़ाने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और पड़ोसी गोवा के चुनावी नतीजे सामने आए, वैसे ही इस गठबंधन की चिंताएं बढ़ गईं।

फिर दिखने लगी दरार?

1. जब कांग्रेस ने उठाई गठबंधन के खिलाफ आवाज
10 मार्च को गोवा विधानसभा चुनाव के नतीजे से सबसे ज्यादा प्रभावित कांग्रेस हुई। नतीजे के बाद महाराष्ट्र कांग्रेस के बड़े नेता नाना पटोले ने दावा किया कि 2024 में महाराष्ट्र में कांग्रेस का ही मुख्यमंत्री होगा। उनके इस बयान के बाद यह अंदाजा लगाया जाने लगा है कि कांग्रेस महाराष्ट्र में एमवीए से अलग चुनाव लड़ सकती है।

गठबंधन में दरार पड़ने का अगला संकेत 18 मार्च 2022 को  मिलता है। इस दिन केंद्रीय राज्य मंत्री रावसाहेब दानवे ने दावा किया कि महाविकास अघाड़ी के 25 विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। उन्होंने यह तो नहीं बताया था कि आखिर कौन सी पार्टियों के नेताओं ने उनसे संपर्क किया, लेकिन दानवे ने यह जरूर दावा किया था कि ये सभी नेता एमवीए सरकार में नजरअंदाज किए जाने की वजह से नाराज हैं।

2. सरकार का नेतृत्व कर रही शिवसेना ने भी जताई नाराजगी

ऐसा नहीं है कि महाविकास अघाड़ी गठबंधन के बीच यह दरार सिर्फ कांग्रेस की वजह से ही पड़ी। सीएम पद होने के बावजूद उद्धव ठाकरे की पार्टी भी गठबंधन में दूसरा दर्जा मिलने की शिकायत करती रही है। यह शिकायत शीर्ष नेतृत्व से तो नहीं आई है, लेकिन सांसद से लेकर विधायक तक इस मुद्दे पर बयान दे चुके हैं। इसी असंतुष्टि को दिखाता बयान 22 मार्च 2022 को आया, जब शिवसेना सांसद श्रीरंग बारने ने दावा किया कि महाराष्ट्र सरकार में सबसे ज्यादा फायदा उठाने वाली पार्टी शरद पवार की राकांपा है। उन्होंने कहा कि शिवसेना नेतृत्व करने के बावजूद भेदभाव का सामना कर रही है। बारने ने आरोप लगाया था कि राकांपा नेताओं ने उन्हें अपनी लोकसभा सीट छोड़ने की सलाह दी थी, ताकि इस सीट पर अजीत पवार के बेटे पार्थ पवार को लड़ाया जा सके। बारने का कहना था कि उन्हें इसके बदले राज्यसभा भेजने की बात कही गई थी।
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