कोरोना वायरस की वैक्सीन कोविशील्ड लेने के बाद देश में खून बहने और थक्के जमने के 26 केस मिलने की आशंका व्यक्त की गई है।
कोरोना टीकों को लेकर बने एक पैनल की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। कोरोना टीकों के बाद होने वाले साइड इफेक्ट्स के अध्ययन को लेकर बने पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसने कुल 498 केसों का अध्ययन किया है, जो कुछ गंभीर थे। इनमें से उसे 26 ऐसे केस थे लेकिन इनमें से अधिकांश को पहले से कोई अन्य बीमारी थी।
जिनमें टीके लगने के बाद खून बहने या फिर खून का थक्का जमने की आशंका है। डेटा में कहा गया है कि टीके बाद बेहद कम रिस्क है, लेकिन आंतरिक तौर पर इसके प्रभाव की आशंका जरूर है।
हालांकि कोवैक्सिन लेने के बाद खून के थक्के जमने या बहने जैसी कोई समस्या सामने नहीं आई है।
इसके अलावा खून के थक्के जमने को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि टीके की कुल 10 लाख डोज में ऐसे 0.61 केस मिले हैं। पैनल की रिपोर्ट के मुताबिक 7 अप्रैल तक 7 करोड़ 54 लाख के करीब टीके लगाए गए हैं। इनमें से देश में कोविशील्ड के 68,650,819 टीके लगे हैं, जबकि कोवैक्सिन के 6,784,562 टीके लगे हैं।
देश में टीकाकरण की शुरुआत से लेकर अब तक कुल 753 जिलों में से 684 में वैक्सीन लेने के बाद किसी बड़े दुष्प्रभाव की बात सामने आई है।
CO-WIN प्लेटफॉर्म के मुताबिक कुल 23,000 ऐसे मामले दर्ज किए गए हैं, जब टीका लेने के बाद कोई समस्या पैदा हुई है। इनमें भी सिर्फ 700 ही ऐसे केस थे, जो गंभीर थे।
पैनल ने कहा कि भारत बायोटेक की ओर से बनाई गई कोवैक्सिन के इस्तेमाल से खून के थक्के जमने या रक्त बहने जैसी कोई घटना सामने नहीं आई है। पैनल की रिपोर्ट में हालांकि कहाा गया है कि खून में किसी प्रकार की समस्या का खतरा दक्षिण एशिया के लोगों में यूरोपीय लोगों के मुकाबले 70 फीसदी तक कम है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जल्दी ही हेल्थकेयर वर्कर्स और वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को प्रेरित किया जाएगा कि टीका लगने के बाद खून का थक्का जमने या ब्लीडिंग जैसी किसी समस्या को लेकर 20 दिन के भीतर ही अवगत कराया जाए। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि टीके के बाद सांस लेने में परेशानी, सीने में दर्द, कंधे पर दर्द, लाल चकत्ते पड़ने या फिर अन्य किसी समस्या के होने पर अवगत कराया जाए।