Molnupiravir देशभर में एक ओर जहां कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. वहीं दूसरी ओर इसके इलाज के काम आने वाली दवाओं की चर्चा तेज हो गई है. कोरोना की एंटी वायरल दवा मोलनुपिराविर (Molnupiravir) को इसके इलाज के तौर पर रामबाण माना जा रहा है, लेकिन सरकार ने इसे लेकर लोगों को सावधान किया है. ICMR ने साफ किया है कि ये दवा फिलहाल कोरोनावायरस के इलाज के लिए बने क्लीनिकल प्रोटोकॉल में शामिल नहीं की जाएगी.
युवाओं पर डाल सकती है बुरा असर
ICMR की ऐसा कहने की वजह साफ है. ये दवा युवाओं, अविवाहित महिलाओं और गर्भवती महिलाओं में बच्चे पैदा करने की क्षमता पर बुरा असर डाल सकती है. स्वास्थ्य मंत्रालय के वैक्सीन के लिए बने टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप के चीफ डॉ एन के अरोड़ा ने भी हर मामले में इस दवा को इस्तेमाल न करने की सलाह दी है.
मोलनुपिराविर को केवल 60 साल से ज्यादा उम्र के बीमार कोरोनावायरस मरीजों को ही देना चाहिए. जब तक इस दवा की डिटेल स्टडी सामने न आ जाए तब तक इसे हर किसी को इलाज के तौर पर न दें. खास तौर पर हल्के लक्षणों वाले मरीज और होम आइसोलेशन वाले मरीज इस दवा को न लें.
डीसीजीआई ने इमरजेंसी इस्तेमाल की दी है मंजूरी
बता दें कि इस दवा को भारत के ड्रग कंट्रोलर ने 28 दिसंबर को कोरोना के गंभीर मामलों के इलाज के लिए मंजूरी दी है. दवा का फायदा 60 साल से ऊपर के बुजुर्ग या ऐसे लोग जिन्हें कोई दूसरी गंभीर बीमारी भी हो में देखा गया है. लेकिन कई डॉक्टर इसे युवाओं को भी दे रहे हैं. सरकार के एक्सपर्ट ऐसे मामलों से बचने की सलाह दे रहे हैं.
‘अस्पताल में भर्ती होने और मौत के खतरे को कम करती है दवा’
दवा बनाने वाली कंपनी का दावा है कि ये कोरोनावायरस संक्रमण के 5 दिनों में दी जाए तो अस्पताल में भर्ती होने और मौत के खतरे दोनों से बचा सकती है. भारत की 13 कंपनियों ने इस दवा को बनाने की तैयारी कर ली है. फिलहाल ये दवा डॉक्टर्स की प्रिस्क्रिप्शन पर ही मिल सकती है.