Motivational Story: कई बार कोई व्यक्ति हमारे मन के मुताबिक कोई काम नहीं करता है तो हम क्रोधित हो जाते हैं। चिल्ला चिल्लाकर अपनी बातें कहने लगते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है। जागरण अध्यात्म में आज हम जानते हैं क्रोध के बारे में। पढ़ें यह एक प्रेरक कथा।
एक समय की बात है। एक बड़े शहर में एक बड़े दार्शनिक आए थे। लोग उनसे जीवन से संबंधित तरह-तरह के प्रश्न पूछ रहे थे। वे बड़ी ही गंभीरता के साथ लोगों की बातें सुन रहे थे और उनकी बातों का जवाब दे रहे थे। इसी बीच एक उत्साही युवक ने उनसे पूछा, श्रीमान, जब कोई व्यक्ति दूसरे पर क्रोधित होता है, तो वह तेज आवाज में क्यों बोलता है? जिस पर वह क्रोधित होता है, वह तो उसके नजदीक ही होता है, फिर उसे चिल्लाकर बोलने की क्या जरूरत?
दार्शनिक उसकी बातों को सुनें और फिर मुस्कुराते हुए कहा- ‘दरअसल, जब कोई व्यक्ति किसी पर क्रोधित हो जाता है, तो उसके दिल और समाने वाले के दिल के बीच की दूरी बढ़ जाती है। वह जितना ज्यादा नाराज होगा, यह दूरी बढ़ जाती है। इसी दूरी के कारण लोग चिल्लाकर बोलते हैं।’
थोड़ा सोचते हुए दार्शनिक बोले, ‘तुमने देखा होगा, जब दो लोग प्रेम में होते हैं, तब वे धीरे-धीरे बातें करते हैं, क्योंकि उनके दिल काफी करीब होते हैं। जब वे एक-दूसरे को हद से च्यादा चाहने लगते हैं, तो उनके दिल आपस में मिल जाते हैं। तब उन्हें बोलने की भी जरूरत नहीं पड़ती। दोनों सिर्फ एक-दूसरे को देखते हैं और एक-दूसरे की बात इशारों में ही समझ लेते हैं।
कथा का सार
क्रोध को पराजित करने का एक ही तरीका है सबके दिलों के नजदीक पहुंचना अर्थात् सभी के साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करना।