भोपाल। MP अजब है सबसे गजब है। यह सुनना केवल एक टीवी विज्ञापन नहीं बल्कि हकीकत में भी होता दिखता है। खास तौर पर पुलिस के कभी कभार किये जाने वाले तौर तरीकों से। तब कहा जाता है एमपी के साथ उसकी पुलिस भी अजब है। बहरहाल मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मध्य प्रदेश के इतिहास में शायद यह पहला मामला है जब आत्महत्या की सूचना पर पुलिस ने घटनास्थल तक जाने से यह कहते हुए मना कर दिया कि ऐसे कैसे मान लें किसी ने फांसी लगा ली है, पहले फांसी पर लटकी हुई डेड बॉडी का फोटो दिखाओ। युवक की लाश पुलिस के इंतजार में 24 घंटे तक फांसी पर लटकी रही।
मामला मध्य प्रदेश के जिले में पथरिया थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सदगुवां गांव का है। हालांकि पुलिस के इस बेतुके बयान की कोई रिकॉर्डिंग नहीं है लेकिन थाने की सीसीटीवी कैमरे गवाही देंगे कि परिवार के लोग गुरुवार की शाम पुलिस थाने आए थे और वापस लौट गए। पोस्टमार्टम रिपोर्ट बताएगी कि लाश कितने दिन पुरानी है। परिवार वालों का आरोप है कि वह दीपावली की शाम थाने पहुंचे थे परंतु पुलिस उनके साथ चलने के लिए तैयार नहीं हुई। मौजूद पुलिस अधिकारी ने कहा कि पहले फांसी पर लटकी हुई डेड बॉडी की फोटो खींच कर लाओ।
मृतक का नाम संतोष अहिरवाल है। उनके रिश्तेदार नाथूराम ने पुलिस पर आरोप लगाया है। बताया है कि संतोष ने घर की छत पर छप्पर से फंदा बांधकर आत्महत्या कर ली थी। नाथूराम ने कहा कि गुरुवार की शाम पुलिस द्वारा भगा देने के बाद रात भर घर पर रहे और शुक्रवार सुबह फिर से थाने पहुंचे। तब कहीं जाकर पुलिस साथ में आने को तैयार हुई और शव का पंचनामा बनाया