MP की उपलब्धि: सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और भेड़ाघाट यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की संभावित सूची में शामिल
प्रमुख सचिव पर्यटन शिवशेखर शुक्ला ने बताया कि अब मध्यप्रदेश ऐसा राज्य बन गया है, जहां से दो स्थलों को यूनेस्को विश्व धरोहरों की प्राकृतिक श्रेणी की संभावित सूची में शामिल किया गया है।
Madhya Pradesh News: भोपाल। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और जबलपुर के भेड़ाघाट-लम्हेटा घाट को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की संभावित सूची में शामिल किया गया है। प्रमुख सचिव पर्यटन शिवशेखर शुक्ला ने बताया कि अब मध्यप्रदेश ऐसा राज्य बन गया है, जहां से दो स्थलों को यूनेस्को विश्व धरोहरों की प्राकृतिक श्रेणी की संभावित सूची में शामिल किया गया है। अगले चरण में इन स्थलों का नॉमिनेशन डॉजियर यूनेस्को द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के तहत भेजा जायेगा। उन्होंने बताया कि संभावित स्थलों की सूची में विशिष्ट विशेषताओं वाले स्थलों को ही शामिल किया जाता है।
.@UNESCO विश्व धरोहर की संभावित सूची में सतपुड़ा टाईगर रिजर्व और जबलपुर के भेड़ाघाट-लम्हेटा घाट को शामिल किया जाना मध्यप्रदेश के लिए गर्व की बात है। @minforestmp, @MPTourism, @wiiofficial1 एवं सभी प्रदेशवासियों को बधाई: CM श्री @ChouhanShivraj https://t.co/bAc8ZaOZPe
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) May 19, 2021
इस वर्ष @MinOfCultureGoI के यशस्वी संगठन @ASIGoI ने युनेस्को विश्व धरोहर की संभावित सूची में शामिल करने के लिए 9 स्थान भेजे थे जिसमें 6स्थानों को स्वीकृति मिली।इसमें माँ नर्मदा जी का सुहावना भेड़ाघाट भी शामिल हुआ बधाई #jabalpur @PMOIndia @JPNadda @ChouhanShivraj @vdsharmabjp pic.twitter.com/GA21ECfcvk
— Prahlad Singh Patel (@prahladspatel) May 19, 2021
शुक्ला ने बताया कि मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड ने सतपुड़ा टाईगर रिजर्व एवं भेड़ाघाट-लम्हेटा घाट को यूनेस्को की विश्व धरोहरों की संभावित सूची में सम्मिलित करने का प्रस्ताव डायरेक्टर जनरल ए.एस.आई, भारत सरकार को 9 अप्रैल 2021 को प्रेषित किया था। ए.एस.आई यूनेस्को को उक्त प्रस्ताव प्रेषित करने के लिये नोडल विभाग है।
शुक्ला ने बताया कि इस उपलब्धि में मध्यप्रदेश पर्यटन बोर्ड, वन विभाग और वाइल्ड लाइफ इन्स्टीट्यूट देहरादून का विशेष योगदान रहा। मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड ने मध्यप्रदेश में संभावित स्थलों की पहचान एवं उनकी विशेषताओं के आधार पर उत्कृष्ट स्थलों के चयन का कार्य देहरादून स्थित डब्ल्यू.आई.आई. केटेगरी-2 सेन्टर को सौपा था।
लगभग एक वर्ष में एनालाइसिस और फील्ड वर्क के दौरान ऐसे स्थलों की पहचान की गई तथा तथ्यों के अन्वेषण के साथ तीन महत्वपूर्ण कार्यशालाएं भी आयोजित की गईं। पहली कार्यशाला भोपाल में, दूसरी कार्यशाला ऋषिकेश में और तीसरी कार्यशाला पचमढ़ी में आयोजित की गई। राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला में पर्यटन एवं वन विभाग के प्रमुख सचिवों के साथ वन, पर्यटन एवं अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी भी सम्मिलित हुए।