MP हाईकोर्ट ने शिक्षकों को एक आदेश में बड़ी राहत देते हुए सरकार को वेतन विसंगतियों को दूर करने के लिए कहा है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करने के लिए प्रमुख सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को निर्देश जारी किए है। कहा है कि 90 दिन के भीतर कार्यवाही करें। कोर्ट को बताया गया कि शिक्षकों के मूल वेतन में 2240 रुपये तक का अंतर प्रतिमाह है जो महंगाई भत्ता जोड़कर 7000 रूपये प्रतिमाह हो रहा है।
सागर जिले के शिक्षकों ने लगाई थी रिट याचिका
सागर जिले में पदस्थ, श्री नितिन तिवारी, प्राथमिक शिक्षक (सहायक अध्यापक), मनीष माथुर, माध्यमिक शिक्षक (अध्यापक) विजय नामदेव, भैयालाल कुर्मी, श्रीसिंह लोधी, अमोल परिहार, काशीराम अहिरवार, धर्मेन्द्र अहिरवार, हेमंत नामदेव, सुनील कुमार जैन, पंकज अहिवार, मदन लाल अहिरवार, बलराम बहरोलिया, सरूप सिंह गोंड, मीनाक्षी, जमना गोंड़, संजय विश्वकर्मा, तुलसीराम, वंदना शर्मा, राजेश श्रीवास्तव, मुन्ना लाल रजक, रमेश कोरी, कमल पांडेय, अरुण रावत द्वारा , छठवें वेतनमान की विसंगतियों के विरुद्ध हाई कोर्ट जबलपुर में रिट याचिका दायर की थी।
पूर्ण वर्षों के आधार पर, सम्मुख प्रकम पर वेतन निर्धारित किया जाएगा।
शिक्षकों की ओर से जबलपुर उच्च न्यायालय के अधिवक्ता, श्री अमित चतुर्वेदी के अनुसार, वर्ष 2003 तक नियुक्त एवं 2004-05 में नियुक्त एवं 2016 में क्रमोन्नति प्राप्त सहायक अध्यापकों की नियुक्ति एवं क्रमोन्नति तिथि में 15 दिवस से 1 वर्ष मात्र अंतर होने से वेतन में भारी असामानता है। दिनाँक 29/12/2017 के पंचायत विभाग के आदेश के अनुसार पद्दोन्नत/क्रमोन्नति अध्यापकों के प्रकरणों में सेवा अवधि की गणना, अध्यापक संवर्ग में नियुक्ति दिनाँक से की जायेगी। पूर्ण वर्षों के आधार पर, सम्मुख प्रकम पर वेतन निर्धारित किया जाएगा।
मूल वेतन में 2240 रुपये का अंतर प्रतिमाह वेतन विसंगति का निराकरण 90 दिवस के भीतर करें
उक्त परिस्थिति में 01/01/16 को 2003 में नियुक्त एवं 31/12/15 के पूर्व क्रमोन्नति तथा 2004 में नियुक्त एवं 01/01/16 के बाद क्रमोन्नति प्राप्त सहायक अध्यापकों की सेवा अवधि एक समान 8 वर्ष है। अपितु दोनों के मूल वेतन में 2240 रुपये का अंतर प्रतिमाह है जो महंगाई भत्ता जोड़कर 7000 रूपये प्रतिमाह हो रहा है। समरुप विसंगति अध्यापकों के प्रकरणों में भी है। हाई कोर्ट जबलपुर ने प्रमुख सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को निर्देश जारी कर कहा कि याचिकाकर्ताओं के वेतन विसंगति का निराकरण 90 दिवस के भीतर करें