भोपाल। मध्य प्रदेश के प्राइमरी एवं मिडिल स्कूलों में पढ़ाने वाले डेढ़ लाख शिक्षकों पर राज्य शिक्षा केंद्र ने फॉर्म 80RTE की तलवार लटका दी है। यह एक ऐसा फॉर्म है जो इससे पहले कभी नहीं भरा गया। इस फॉर्म में कई तरह की जानकारियां मांगी गई है। राज्य शिक्षा केंद्र का कहना है कि शिक्षा का अधिकार कानून के तहत यह फॉर्म भरा जा रहा है परंतु मध्य प्रदेश के शिक्षक इस बात पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं।
पिछले हफ्ते स्कूलों में प्रधानाध्यापकों एवं शिक्षकों को फॉर्म भरने को दिए गए। इसे देखकर वे चौंक गए, इसमें यह साफ लिखा है कि यदि 80 फीसदी से कम परीक्षा परिणाम रहता है तो उसके तीन कारण बताना होंगे। राज्य शिक्षा केंद्र के दायरे में प्रदेशभर के 98 हजार से ज्यादा प्राइमरी एवं मिडिल स्कूल आते हैं। इन सभी स्कूलों में यह संदिग्ध फार्म भरने के लिए कहा गया है।
परीक्षा के वक्त ऐसा बंधन रखना गलत: कर्मचारी संगठन
इस मामले को लेकर मप्र शिक्षक कांग्रेस के संरक्षक रामनरेश त्रिपाठी, प्रांताध्यक्ष निर्मल अग्रवाल, जिलाध्यक्ष सुभाष सक्सेना, महामंत्री अलका शर्मा ने कहा कि यह तरीका उचित नहीं है। एक तरफ तो शिक्षकों को साल भर ट्रेनिंग और मीटिंग में व्यस्त रखा। परीक्षा के ऐन मौके पर यह बंधन रखा जा रहा है। स्कूल शिक्षा मंत्री एवं प्रमुख सचिव से मिलकर शिकायत दर्ज कराएंगे। शासकीय अध्यापक संगठन के संयोजक उपेंद्र कौशल एवं जितेंद्र शाक्य, आजाद अध्यापक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष शिवराज वर्मा का कहना है कि सरकारी स्कूलों के शिक्षकों से भेदभाव किया जा रहा है। प्राइवेट स्कूलों एवं उनके शिक्षकों को इस दायरे में क्यों नहीं ला रहे।