भोपाल। मध्य प्रदेश में नगर निगम महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता करेगी। इसके लिए शिवराज सरकार विधानसभा के मानसून सत्र में एक बार फिर नगर पालिक विधि संशोधन विधेयक लाएगी। बजट सत्र में भी इसे प्रस्तुत किया गया था लेकिन उस पर चर्चा नहीं हो सकी और सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई थी।
कमलनाथ सरकार ने नगर पालिक विधि में संशोधन करते हुए महापौर और अध्यक्ष का चुनाव जनता की जगह पार्षदों के बीच से करने का प्रविधान किया था। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव सहित भाजपा ने विरोध दर्ज कराते हुए राज्यपाल से इन प्रविधानों को लागू करने की अनुमति नहीं देने की मांग रखी थी। हालांकि, राज्यपाल ने इसे कुछ दिन बाद अनुमति दे दी थी। इसके बाद विधेयक लाया गया था लेकिन चुनाव नहीं हो पाए और सत्ता परिवर्तन हो गया।
शिवराज सरकार ने सितंबर 2020 में अध्यादेश के माध्यम से फिर पुरानी व्यवस्था लागू कर दी। विधानसभा के बजट सत्र फरवरी 2021 में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने पुरानी व्यवस्था बरकरार रखने के लिए नगर पालिक विधि संशोधन विधेयक सदन में प्रस्तुत किया था। यह पारित हो पाता, इसके पहले सदन की कार्यवाही कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए 16 मार्च 2021 को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई थी।
विधानसभा के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह का कहना है कि जो विधेयक सदन में प्रस्तुत हो गए थे लेकिन पारित नहीं हो सके, उन्हें सरकार को फिर से लाना होगा। उधर, विभागीय अधिकारियों का कहना है कि संशोधन विधेयक एक बार विधानसभा में प्रस्तुत हो चुका है इसलिए अब नए सिरे से प्रक्रिया नहीं करनी होगी।