भोपाल। प्रदेश के 38 जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों में अब संचालक अपने किसी रिश्तेदार को संविदा या आउटसोर्स के माध्यम से कंप्यूटर आपरेटर नहीं रख सकेंगे। सहकारिता विभाग ने कंप्यूटर आपरेटर की नई नियुक्ति करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है।
जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है तब तक संविदा या आउटसोर्स के माध्यम से रखे गए कंप्यूटर आपरेटर की सेवाएं निरंतर रखी जाएंगी। सेवा वृद्धि के प्रस्ताव अब बैंकों को विभाग को भी नहीं भेजने होंगे। विभाग ने बैंक के संचालक मंडल को ही इस मामले में निर्णय करने का अधिकार दे दिया है।
प्रदेश के सहकारी बैंकों में कोर बैंकिंग सिस्टम लागू होने के बाद करीब सात सौ कंप्यूटर आपरेटर को संविदा या आउटसोर्स के माध्यम से रखा गया है। इनकी सेवा अवधि छह-छह माह करके बढ़ाई जाती रही है। अब विभाग नियमित नियुक्ति करने जा रहा है। इसके लिए बैंकों से प्राप्त प्रस्तावों का परीक्षण करके नियुक्ति की प्रक्रिया प्रारंभ की जा रही है। जब तक यह पूरी नहीं हो जाती है, तब तक के लिए संविदा या आउटसोर्स पर रखे गए कंप्यूटर आपरेटर की सेवा अवधि बढ़ाई जा सकेगी।
इसके लिए बैंकों को प्रस्ताव विभाग को भेजने की जरूरत नहीं होगी। संचालक मंडल ही सेवा वृद्धि के संबंध में निर्णय ले सकेंगे पर इसमें यह ध्यान रखना होगा कि कोई भी ऐसा आपरेटर नहीं होना चाहिए जो बैंक के संचालक मंडल या पदाधिकारी का रिश्तेदार हो। यदि ऐसा कोई व्यक्ति पहले से कार्यरत है तो उसे सेवा वृद्धि भी नहीं मिलेगी। जितने पद स्वीकृत किए गए हैं, उन्हें ही सेवा वृद्धि दी जाएगी और कोई नया कंप्यूटर आपरेटर नहीं रखा जाएगा। इन्हें न तो कोर बैंकिंग से जुड़ा पासवर्ड नहीं दिया जाएगा और न ही कोई वित्तीय लेनदेन का काम कराया जाएगा। सेवा वृद्धि छह-छह माह करके ही दी जाएगी। इसमें भी एक दिन का अंतराल रखना अनिवार्य किया गया है।