MP हाईकोर्ट ने एक मामले में महत्वपूर्ण अभिमत दिया है। दिया है कि अलग-अलग डिपार्टमेंट के कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु अलग-अलग नहीं हो सकती। उच्च न्यायालय में आयुष डॉक्टर मीता बिसारिया की तरफ से प्रस्तुत की गई याचिका की सुनवाई चल रही थी। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ एवं जस्टिस विजय शुक्ला की खंडपीठ ने आयुष डॉक्टरों को एलोपैथिक डॉक्टरों की तरह 65 वर्ष की आयु तक सेवा में बने रहने के अधिकार का समर्थन किया।
भोपाल में कार्यरत आयुष अधिकारी डॉ मीता बिसारिया (होम्योपेथी) ने शासकीय सेवक अधिवार्षिकी आयु संशोधन अधिनयम 2011 की वैधानिकता को चुनौती दी थी। इसके तहत एलोपेथी डॉक्टर्स की रिटायरमेंट आयु 65 वर्ष जबकि आयुष चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष निर्धारित है। प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने विधि एवं विधायी कार्य विभाग तथा आयुष विभाग के प्रमुख सचिवों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 3 जनवरी 2021 को होगी।
भेदभाव करना अनुचित
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ और रोहित जैन ने दलील दी जिसमें कहा कि एलोपेथी और आयुष (यूनानी, होम्योपेथी एवं आयुर्वेदिक) दोनों तरह के डॉक्टर्स का मूल काम इलाज करना है। ऐसे में सेवानिवृत्ति आयु निर्धारण में भेदभाव करना अनुचित है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसे एक मामले में कहा है कि आयुष डॉक्टर्स भी 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति के हकदार हैं। इसी तरह मप्र हाईकोर्ट की बेंच ने भी शशिबाला चौहान विरुद्ध मप्र शासन के प्रकरण में नर्स की रिटायरमेंट आयु 65 वर्ष निर्धारित की है। कोर्ट ने कहा हमारा मत है कि आयुष डॉक्टर्स भी 65 वर्ष तक सेवा करने के अधिकारी हैं।