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MP में पुलिस भर्ती का इंतजार कर रहे उम्मीदवारों के लिए बुरी खबर
भोपाल। मध्य प्रदेश पुलिस भर्ती का इंतजार कर रहे उम्मीदवारों के लिए बुरी खबर है। मध्य प्रदेश पुलिस में करीब 10000 नियमित पद समाप्त होने वाले हैं। यह सभी पद आउटसोर्स किए जाएंगे। यानी इन पदों पर आउटसोर्स कर्मचारी काम करेंगे।
मध्य प्रदेश पुलिस की करीब 50 से अधिक सेवाएं जैसे पासपोर्ट करैक्टर वेरिफिकेशन, नेताओं के लिए वीआईपी ड्यूटी, परीक्षा में पुलिस का बंदोबस्त, कोर्ट के समन की डिलीवरी, रिकॉर्ड कीपिंग, ट्रेड्समैन, पुलिस बैंड, रिकॉर्ड कीपिंग, सॉफ्टवेयर, कॉल सेंटर एवं पुलिस की आउटडोर ट्रेनिंग जैसी कई सेवाएं आउटसोर्स कर दी जाएगी। इससे पुलिस विभाग को या फायदा होगा कि 10000 नियमित पद समाप्त हो जाएंगे। दरअसल सरकार रिक्त पदों पर नियमित कर्मचारियों की भर्ती करना नहीं चाहती। नियमित कर्मचारी सरकार के लिए सिरदर्द होते हैं।
नेताओं की वीवीआईपी सुरक्षा भी आउटसोर्स कर्मचारी करेंगे
एक और विवादास्पद प्रस्ताव नेताओं के लिए लगने वाली एस्कॉर्ट ड्यूटी को भी निजी हाथों मे देने का है। जानकारों के मुताबिक ऐसा करना वीआईपी की सुरक्षा से समझौता करना होगा। पुलिस के डाटा एनालिसिस और रिकॉर्ड मैनेजमेंट, साइबर फॉरेंसिक जैसे कामों में भी अफसर दुरुपयोग की आशंका जता रहे हैं। हालांकि हाउसकीपिंग, सीसीटीवी मॉनिटरिंग, कॉल सेंटर मैनेजमेंट, पुलिस वाहन मेंटेनेंस, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट जैसे काम निजी कंपनियों को देने में किसी को आपत्ति नहीं है।
पुलिस बैंड और ट्रेड्समैन की नियमित भर्ती नहीं होगी
विभाग में ट्रेड्समैन के पद यानी बढ़ई, लोहार, कुक, वाटरमैन जैसी सेवाओं पर ग्रामीण क्षेत्रों के परंपरागत कारीगरों को भी मौका मिलता रहा है। एक बार निजीकरण होने पर ऐसे हजारों ट्रेड्समैन के लिए सरकारी नौकरी के अवसर खत्म हो जाएंगे। निजीकरण की सूची में पुलिस बैंड भी है। इसकी भी अलग पहचान रही है। बैंड ने कई परंपरागत धुनों को सहेजकर रखा है। निजी समारोहों में सेवाओं के जरिए पुलिस वेलफेयर के लिए राशि एकत्रित होती रही है। इंदौर स्थित बटालियन का बैंड तो राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुका हैं।
निजीकरण का अनुभव अच्छा नहीं रहा, गोपनीयता से समझौता होगा: एसके राउत
विदेशों में पुलिस से जुड़े कई काम आउटसोर्स करने का कॉन्सेप्ट रहा है। कुछ सेवाओं को आउटसोर्स करने से पुलिस पर अनावश्यक बोझ कम होगा, लेकिन बहुत सावधानी रखना होगी, क्योंकि हमारे देश में निजीकरण का अनुभव अच्छा नहीं रहा है। निजीकरण की सूची में कुछ संवेदनशील सेवाएं भी हैं, इनके निजीकरण से पुलिस की गुणवत्ता और गोपनीयता से समझौता हो सकता है। – एसके राउत, रिटायर्ड पुलिस महानिदेशक
केंद्र ने चिट्ठी भेजी है, रिटायर्ड अधिकारी सहमत नहीं
केंद्र ने मदद के लिए जो शर्तें रखी हैं, उसमें कोर पुलिसिंग से जुड़े कामों को छोड़कर कई सेवाओं को आउटसोर्स करने के लिए कहा है। इस बारे में केंद्र के अंडर सेक्रेटरी मनोहर सुकोते ने सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशकों को चिट्ठी भेजी है। रिटायर्ड पुलिस अफसरों के मुताबिक, पासपोर्ट वेरिफिकेशन की व्यवस्था निजी हाथ में सौंपना गोपनीयता व सुरक्षा से समझौता करने जैसा होगा। समन भेजने की व्यवस्था भी आउटसोर्स करने पर विवाद है।