MP में सोशल मीडिया पर छलक रहा मंत्री न बन पाने पर विधायकों का दर्द
भोपाल। कमलनाथ सरकार को सवा साल हो गए हैं, लेकिन वरिष्ठ विधायकों का दुख कम होने का नाम नहीं ले रहा। दुख की वजह भी खुद को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया जाना है। चार बार विधायक चुने गए एदल सिंह कंषाना ने तो अपने दुख को मीडिया के सामने भी व्यक्त कर दिया है। जबकि कुछ अन्य वरिष्ठ विधायक मंत्रिमंडल से दूर रखे जाने पर सीधी टिप्पणी करने के बजाय सोशल मीडिया पर पार्टी की गाइडलाइन के बाहर जाकर भड़ास निकाल रहे हैं। अनुभवी नेता मंत्रिमंडल से दूर कमलनाथ सरकार में दो बार के 11 विधायकों को मंत्री बनाया गया है, जबकि इनसे ज्यादा अनुभवी विधायकों को मंत्रिमंडल से दूर रखा गया। सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल के गठन के समय इस मुद्दे पर पार्टी के अंदर कुछ समय असंतोष दिखाई दिया था, लेकिन बाद में धीरे-धीरे यह शांत होता चला गया।
मगर सवा साल की अवधि के दौरान वरिष्ठ विधायकों के भीतर की पीड़ा दूसरे रूप में जरूर सामने आती रही है। सोमवार को मुरैना जिले के विधायक एदल सिंह कंषाना ने अपनी इस पीड़ा को सार्वजनिक रूप से व्यक्त किया था। कंषाना ने कहा था कि वे दुखी हैं कि उनसे जूनियर विधायकों को मंत्री बना दिया गया और इसके बाद आज तक उन्हें मंत्री बनाए जाने का अवसर नहीं दिया गया। तीन बार के विधायक लक्ष्मण सिंह को भी मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला है, जबकि उनके भतीजे और दूसरी बार के विधायक जयवर्धन सिंह मंत्री हैं। लक्ष्मण सिंह टि्वटर पर सक्रिय हैं। पिछले कुछ समय से वे कई ऐसे ट्वीट कर चुके हैं, जिन्हें पार्टी की गाइडलाइन के खिलाफ माना जा सकता हैं। छह बार चुनाव जीतने के बावजूद मंत्रिमंडल से बाहर विधायक केपी सिंह सधी हुई भाषा में बात रखते हैं, क्योंकि वे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के समर्थक हैं व उनकी कर्मस्थली सिंधिया का संसदीय क्षेत्र है।