जबलपुर MP High Court। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की वृहद बैंच ने तय किया कि अपराध से समाज पर होने व्यापक असर से तय होगा कि एनएसए लगेगा या नहीं। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक, जस्टिस राजीव दुबे और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की बैंच ने इस मत के साथ खंडवा निवासी संदीप जैन के मामले में पारित उस निर्णय को निरस्त कर दिया है कि जिसमें कहा गया कि मिलावट के मामलों में एनएसए के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती है।
खंडवा निवासी संदीप जैन के खिलाफ मिलावट के मामले में एनएसए की कार्रवाई की गई थी। हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच ने 8 नवंबर 2019 को यह कहते हुए आदेश को निरस्त कर दिया कि मिलावट के मामले में एनएसए की कार्रवाई नहीं की जा सकती है। वहीं जबलपुर निवासी कमल खरे के मामले में दूसरी डिवीजन बैंच में मतभेद हुए। इसके बाद इस मामले को लार्जर बैंच में भेजा गया। लार्जर बैंच ने मिलावट के मामलों क्या एनएसए की कार्रवाई हो सकती है। क्या जिला दंडाधिकारी एक बार एनएसए का आदेश पारित करने के बाद उसे वापस ले सकता है और निरूद्द्ध किए गए व्यक्ति को अभ्यावेदन देने का अधिकार है या नहीं।
सुनवाई के बाद लार्जर बैंच ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत किए गए अपराध की सजा मिलती है, जबकि एनएसए का उपयोग भविष्य में होने वाले अपराध को रोकने के लिए किया जाता है। अपने आदेश में कहा है कि जिस व्यक्ति को एनएसए के तहत निरूद्द्ध किया गया है उसे जिला दंडाधिकारी के समक्ष अभ्यावेदन देने का अधिकार है। लार्जर बैंच ने कहा है कि जिला दंडाधिकारी के एनएसए के आदेश का राज्य सरकार द्वारा 12 दिन के भीतर अनुमोदन किया जाना चाहिए। जब तक राज्य सरकार एनएसए के आदेश का अनुमोदन नहीं कर देती है, इस दौरान जिला दंडाधिकारी को एनएसए का आदेश वापस लेने का अधिकार है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ और अधिवक्ता संकल्प कोचर ने पक्ष प्रस्तुत किया, जबकि राज्य सरकार की से उप महाधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने पक्ष रखा।