mp high court जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने अपने फैसले में छतरपुर के पूर्व कलेक्टर शीलेंद्र सिंह और जिला पंचायत के सीईओ अमर बहादुर सिंह को कोर्ट का आदेश न मानने का दोषी करार दिया था। पहले 11 अगस्त को सजा सुनाई जानी थी। हालांकि, मामला टला और शुक्रवार को सजा सुनाई गई है। छतरपुर में पहली बार किसी कलेक्टर और अपर कलेक्टर को न्यायालय की अवहेलना के मामले में दोषी करार दिया गया है।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने छतरपुर के पूर्व कलेक्टर शीलेंद्र सिंह और जिला पंचायत के सीईओ अमर बहादुर सिंह को सात-सात दिन की सजा सुनाई है। साथ ही पचास-पचास हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। मामला कोर्ट की अवहेलना से जुड़ा है। पिछले महीने कोर्ट ने उन्हें इस मामले में दोषी करार दिया था।
छतरपुर स्वच्छता मिशन के तहत रचना द्विवेदी जिला समन्वयक को छतरपुर से बड़ा मलहरा स्थानांतरित कर दिया गया था। संविदा नियुक्ति में स्थानांतरण करने का प्रावधान नहीं है। इसके बावजूद याचिकाकर्ता का ट्रांसफर कर दिया गया था। इस ट्रांसफर के खिलाफ याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर हाईकोर्ट ने स्टे दिया था। रचना त्रिपाठी के बड़ा मलहरा ज्वाइन न करने के कारण उसे सेवा से पृथक कर दिया गया था। उसके खिलाफ उसने दोबारा न्यायालय में शरण ली। न्यायालय को अपने अधिवक्ता के माध्यम से बताया कि न्यायालय के आदेश का पालन नहीं हुआ है। याचिकाकर्ता को नौकरी से निकाल दिया गया है। अन्य किसी व्यक्ति को अपीलार्थी की जगह सेवा में रखा गया है।
खूब लगवाए चक्कर
इस संबंध में याचिकाकर्ता रचना द्विवेदी का कहना है कि दोनों जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के पास में लगातार ज्वाइनिंग करने के लिए चक्कर लगाती रही। इन अधिकारियों ने न्यायालय के आदेश को ठोकर मार दी और मेरी ज्वाइनिंग नहीं कराई। मुझे न्यायालय पर भरोसा था, इसलिए मैं न्यायालय की शरण में गई और मुझे आपके माध्यम से पता चला है कि मेरे पक्ष में न्यायालय ने आदेश किया है। दोषी अधिकारियों के खिलाफ इसी प्रकार की सख्त कार्रवाई होना चाहिए।