MP Panchayat Chunav . मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को अलग-अलग नजर से देखा जा रहा है। इसके मायने भी अलग अलग निकाले जा रहे हैं। इन सब के बीच इस निर्देश पर गौर करें तो अब पंचायत चुनाव की गेंद इलेक्शन कमीशन के पाले में है।
मध्य प्रदेश में निकाय और पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण पर नहीं होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को इस मामले में शुक्रवार को नोटिस जारी किया. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ओबीसी सीट को सामान्य सीट मानते हुए चुनाव करवाए जाएं. नोटिस के साथ-साथ SC ने राज्य चुनाव आयोग को चेतावनी भी दी. कोर्ट ने कहा कि कानून के दायरे में ही रहकर चुनाव करवाया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कानून का पालन नहीं होगा तो भविष्य में वह चुनाव को रद्द भी कर सकती है. उच्चतम न्यायालय ने वरिष्ठ वकील विवेक तंखा को कहा कि वह हाई कोर्ट में अपनी तमाम दलीलें रखें. हाई कोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी को करेगा.
गौरतलब है कि एक दिन पहले ही गुरुवार को जबलपुर हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव संबंधी याचिकाओं पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया है. हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता ने तत्काल सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस के सामने आवेदन पेश किया. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अब कल 17 दिसंबर को सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने एक और अहम टिप्पणी की है. उसमें स्पष्ट किया है कि मध्य प्रदेश में हो रहे पंचायत चुनाव सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन इस याचिका के अधीन रहेंगे.
भोपाल के मनमोहन नायर और गाडरवाडा के संदीप पटेल सहित पांच अन्य याचिका कर्ताओं ने तीन चरणों में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की वैधानिकता को चुनौती दी है. याचिका में कहा गया है राज्य सरकार ने 2014 के आरक्षण रोस्टर से चुनाव करवाने के संबंध में अध्यादेश पारित किया है,जो असंवैधानिक है.
महाराष्ट्र का हवाला
इसके पहले याचिकाकर्ता के एडवोकेट हिमांशु मिश्रा ने कहा जिस तरह महाराष्ट्र में आरक्षण संबंधी प्रावधानों का पालन ना होने पर हाईकोर्ट ने अधिसूचना निरस्त करते हुए फिर से अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया है. उसी तरह मध्यप्रदेश के लिहाज से आदेश जारी किया जा सकता है. मध्यप्रदेश में भी आरक्षण और रोटेशन का पालन नहीं किया गया जो संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है. अब 3 जनवरी को हाई कोर्ट से अपील की जाएगी कि मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव की अधिसूचना निरस्त करते हुए कानूनी प्रावधानों का पालन करने के बाद नई अधिसूचना जारी की जाए.