MP Panchayat Election परिसीमन को लेकर हाई कोर्ट में याचिका सुनवाई 13 जून को
MP Panchayat Election परिसीमन को लेकर हाई कोर्ट में याचिका सुनवाई 13 जून को
MP Panchayat Election मध्य प्रदेश में पिछले पंचायत चुनाव 2014-15 में हुए थे. पहले कोरोना महामारी और बाद में ओबीसी आरक्षण के कारण प्रदेश में पंचायत चुनाव टल गए. जिसके चलते पंचायत चुनाव का इंतजार लोग बेसब्री से कर रहे हैं. अब पंचायत चुनाव को लेकर एक बड़ी अपडेट सामने आई है. परिसीमन को लेकर हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. जिसकी अगली सुनवाई 13 जून को की जाएगी.
मामले में पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के सचिव और कमिश्नर को भोपाल के कलेक्टर के साथ नोटिस जारी किया गया है. बता दें कि इस मामले की सुनवाई पर हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव की बेंच कर रही है और उन्होंने पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के सचिव और कमिश्नर और भोपाल के कलेक्टर को नोटिस जारी किया है.
मनमोहन नागर पहुंचे हाईकोर्ट
मामले में भोपाल की बैरसिया तहसील निवासी मनमोहन नागर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एलसी पाटने और अभय पांडे पेश हुए. अधिवक्ताओं ने कहा कि कमिश्नर ने 22 फरवरी 2022 को जिला पंचायत के परिसीमन की अधिसूचना जारी की थी और ये नियम के विरूद्ध है, मध्य प्रदेश पंचायत राज अधिनियम के तहत कलेक्टर को परिसीमन कार्रवाई करने का अधिकार है. याचिका में अधिसूचना को लेकर 2 मार्च 2022 को आपत्ति दर्ज कराई गई थी, लेकिन आपत्ति का समाधान किए बिना ही जिला पंचायत के परिसीमन की अंतिम अधिसूचना 10 मार्च को आयुक्त द्वारा जारी कर दी गयी.
नोटिफिकेशन रद्द करने की मांग
याचिका में कहा गया है कि परिसीमन की प्रोसेस में चुनाव नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है. परिसीमन की प्रक्रिया में प्राइमरी नोटिफिकेशन को कलेक्ट्रेट, जिला पंचायत, विकास खंड और तहसील कार्यालय में सब्मिट करना अनिवार्य है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. याचिकाकर्ता ने नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की है.
वकील ने कहा कि अधिसूचना जारी करने के लिए नियमों और प्रक्रिया का ध्यान रखना जरूरी है. मनमाने ढंग से अधिसूचना जारी नहीं की जा सकती. लोकतंत्र की मूल भावना को भी ठेस पहुंची है. जिसके बाद हाईकोर्ट ने सभी पहलुओं पर विचार करते हुए आयुक्त, प्रमुख सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और भोपाल कलेक्टर को नोटिस जारी किया है. उनसे अगली सुनवाई से पहले जवाब मांगा गया है. अगर नोटिफिकेशन में कुछ गलती पाई जाती है और यदि जानकारी अनुपयुक्त पाई जाती है, तो नोटिफिकेशन को रद्द भी किया जा सकता है.