प्रतापगढ़ । कोरोना महामारी से निजात पाने के लिए Uttar Pradesh में कोरोना को भगवान का दर्जा देकर उसका मंदिर ही बना दिया गया। दुनिया भर में कोरोना महामारी (corona pandemic) को खत्म करने के लिए तरह-तरह के जतन किये गए लेकिन ऐसा कहीं नही किया गया। कोरोना माता मंदिर (corona mata temple) के नाम से बना ये मंदिर काफी चर्चा में रहा। जिसके बाद शुक्रवार की रात इसे पुलिस (police) और जिला प्रशासन (district administration) की ज्वाइंट टीम ने मिलकर ढहा दिया। पुलिस का कहना है कि ये कदम इसलिए लिया गया ताकि कोरोना को लेकर कोई अंधविश्वास (superstition) न फैले। मंदिर निर्माण कार्य में भी जांच शुरू कर दी गयी है।
प्रयागराज रेंज के IGP केपी सिंह ने बताया कि पुलिस बल लोगों में कोरोना के प्रति जागरूकता फैलाने और इसके प्रति सजग रहने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। साथ ही लोगों को ये समझाने का भी प्रयास कर रही है कि कोरोना दवाई और कड़ाई से जाएगा न कि किसी धार्मिक व्रत-अनुष्ठान से। IGP ने बताया कि कोरोना माता मंदिर की जानकारी तब लगी जब शुक्लापुर गांव के ही निवासी नागेश कुमार श्रीवास्तव ने संगीपुर थाने में इस बात की सूचना देते हुए पत्र लिखा।
पत्र में उन्होंने बताया कि उनके भाई लोकेश कुमार जो कुछ दिन पहले ही ग़ाज़ियाबाद से लौटे थे, उन्होंने परिवार से बात किए बगैर ही कोरोना माता मंदिर की स्थापना कर डाली। पुलिस ने बताया कि ये मंदिर 3 दिन पहले बना था और तबसे भारी संख्या में लोग वहां जाकर पूजा-अर्चना कर चुके हैं।
ग्रामीणों का मानना है कि कोरोना माता मंदिर की कृपा से कोविड-19 का साया कभी भी शुक्लापुर और आस पास के गांव पर नहीं पड़ेगा। इस मंदिर को बनाते वक्त सभी ग्रामीणों ने मास्क पहन रखा था और सोशल डिस्टेंस का ख्याल भी रखा था। यहां तक कि मंदिर में रखी प्रतिमा ने भी मास्क पहना हुआ है।