Omicron-Variant: क्या पांच दशक पहले ही ओमिक्रॉन वैरिएंट का चल गया था पता? जानिए क्या है पूरा माजरा
Omicron-Variant: क्या पांच दशक पहले ही ओमिक्रॉन वैरिएंट का चल गया था पता? जानिए क्या है पूरा माजरा
Omicron-Variant नवंबर के आखिर हफ्तोंं में सामने आए कोरोना के सुपर संक्रामक माने जा रहे Omicron-Variant ओमिक्रॉन वैरिएंट ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। हालिया रिपोर्टस के मुताबिक अब तक यहOmicron-Variant वैरिएंट दुनिया के करीब 23 देशों में फैल चुका है। इतना ही नहीं बताया जा रहा है कि कोरोना के अन्य वैरिएंट्स को जिस स्तर तक पहुंचने में 100 दिन से अधिक का समय लगा था, वहीं ओमिक्रॉन वैरिएंट को इसके लिए महज 10 दिन का वक्त लगा। इससे स्पष्ट होता है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट काफी अधिक संक्रामक हो सकता है। पर क्या कोरोना के इस वैरिएंट के बारे में दुनिया को करीब पांच दशक पहले ही पता चल गया था?
असर में ट्विटर पर Omicron-Variant ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर किए जा रहे कुछ ट्वीट्स के चलते लोगों के मन में इस तरह के सवाल आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर इन दिनों एक पोस्टर वायरल हो रहा है जिसमें साल 1963 में आई फिल्म द ओमिक्रॉन का एक पोस्टर तेजी से वायरल हो रहा है जिसे देखकर लोग इस बात के कयास लगा रहे हैं कि वैज्ञानिकों को वर्षों पहले ही इस वैरिएंट के बारे में पता चल गया था।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है पोस्टर
असल में सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर का कंटेंट ही कुछ ऐसा है जो लोगों को सोचने पर मजबूर कर रहा है। पोस्टर का टैग लाइन है- द डे द अर्थ वाज टर्नड इनटू ए सेमेट्री- द कोरोना वैरिएंट, जिसका हिंदी मतलब होता है, वह दिन जब धरती कब्रिस्तान बन जाएगी। मौजूदा हालात का इससे मिलता जुलता लगना स्वाभाविक है। इतना ही नहीं मशहूर फिल्म निर्माता राम गोपाल वर्मा ने भी इस पोस्टर को ट्वीट करते हुए लिखा है कि ‘यह फिल्म 1963 में ही आ गई थी, जरा इसका टैगलाइन तो देखिए।’
क्या है असलियत?
सोशल मीडिया पर द ओमिक्रॉन नाम से वायरल इस पोस्टर की हकीकत जानने के लिए हमने साल 1963 में आई इस हॉलीवुड फिल्म के बारे में पढ़ना शुरू किया। इस दौरान पता चला कि इस फिल्म का कोरोना वायरस से कोई संबंध ही नहीं है। यह फिल्म दरअसल एक साइंस फिक्शन थी जिसमें एलिएन्स के बारे में दिखाया गया था।
सार्स-सीओवी-2 वायरस का नहीं है इससे संबंध
दिसंबर 2019 में पहली बार चीन के वुहान शहर में सामने आए सार्स-सीओवी-2 वायरस के कारण होने वाली कोविड-19 बीमारी के बारे में पता चला। इससे पहले साल 2003 में सार्स फैमिली के वायरस के कारण ही दुनिया को पहली बार कोरोना का संकट झेलना पड़ा था। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक साल 2003 से पहले कोरोना के बारे में किसी को जानकारी नहीं थी, जबकि सोशल मीडिया पर जिस फिल्म का पोस्टर वायरल है वह 1963 में आई फिल्म थी।
कोविड-19 के बारे में जान लीजिए
सबसे पहले 2019 के आखिर में नोवल कोरोना वायरस के मामले दुनिया के सामने आए। कुछ देशों में इसकी दो तो कुछ जगह पर तीन लहरें आ चुकी हैं। आंकड़ों के मुताबिक नोवल कोरोना वायरस से अब तक 26.44 करोड़ से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि 52.52 लाख से अधिक लोगों की इससे मौत हो चुकी है। वहीं भारत में कुल 3.46 करोड़ से अधिक लोग सार्स सीओवी-2 वायरस की चपेट में आ चुके हैं।