One Nation One Uniform In India: एक देश-एक पुलिस वर्दी: दूसरे राज्य में जब घुसेगी पुलिस तो होगा ये संकट, दिलों में बसता है फोर्स का नाम-निशान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सामने एक ‘पुलिस-एक वर्दी’ का विचार रख दिया है। बीते दिनों हरियाणा के सूरजकुंड में आयोजित चिंतन शिविर में प्रधानमंत्री ने राज्यों के गृह मंत्रियों, गृह सचिवों और शीर्ष पुलिस अधिकारियों के समक्ष कहा था, ‘पुलिस के लिए ‘वन नेशन, वन यूनिफॉर्म’ सिर्फ एक विचार है।
देश में यह प्रस्ताव अभी एक विचार के तौर पर सामने आया
इसे राज्यों पर थोपा नहीं जा रहा है। पांच, पचास या सौ वर्षों में इस बाबत आगे बढ़ा जा सकता है। सभी राज्यों को इस पर विचार करना चाहिए। हालांकि देश में यह प्रस्ताव अभी एक विचार के तौर पर सामने आया है। इस बाबत ‘बीएसएफ’ के पूर्व एडीजी एसके सूद कहते हैं, यह उतना आसान भी नहीं है। किसी भी पुलिस या बल का ‘नाम/निशान’, उसके कार्मिकों के दिल में बसता है। वैसे भी कानून व्यवस्था, राज्य का विषय है, इसलिए इस संबंध में किसी अंतिम निर्णय पर पहुंचना इतना आसान नहीं है।
ये भी देखना होगा कि एक वर्दी होने पर किसी भी राज्य की पुलिस दूसरे राज्य में बिना किसी प्रोटोकॉल को फॉलो किए घुस सकती है। अपराधी को कौन पकड़ ले गया, इस बाबत पड़ोसी राज्यों की पुलिस में आपसी टकराव संभव है। इन सबके मद्देनजर, प्रधानमंत्री की ‘वन नेशन, वन यूनिफॉर्म’ की अवधारणा पर गहराई से विचार करने की जरुरत है।
बतौर एसके सूद, आज भी अधिकांश राज्यों में पुलिस की खाकी वर्दी है। केवल कंधे पर लगे बैज, बेल्ट या टोपी, ही तो अलग होती है। इससे तो पुलिस कहीं कमजोर नहीं पड़ती। किसी राज्य में पुलिस की छवि खराब है या पुलिस सुधारों की प्रक्रिया पर काम नहीं हो रहा है तो उस दिशा में पहल करनी जरुरी है। केवल वर्दी एक जैसी करने से क्या होगा।
“जिस बात पर चिंतन होना चाहिए कि आज भी आम लोगों का पुलिस पर भरोसा क्यों नहीं बन पा रहा है, इस दिशा में कोई काम नहीं हो रहा। कश्मीर में तैनात पुलिस कर्मी और तमिलनाडु पुलिस की वर्दी एक जैसी नहीं हो सकती। विभिन्न पुलिस बलों और सीएपीएफ में कई स्पेशलाइज्ड यूनिट होती हैं। मसलन कमांडो, स्पेशल सेल, आर्म्ड पुलिस व यातायात पुलिस की अपनी अलग पहचान है।”
पुलिस बलों के रैंक व बैज अलग होते हैं। नाम और निशान का बहुत महत्व होता है। कोई भी जवान इन दोनों बातों को अपने सीने से लगाकर रखता है। विभिन्न बलों में वर्दी सजाने की एक परंपरा होती है। हर कोई अपनी वर्दी को बेहतर बनाने का प्रयास करता है। जैसे पंजाब पुलिस की तर्ज पर दिल्ली पुलिस ने भी अपने वर्दी के सामने वाले हिस्से पर बैज लगा लिया है।
ज्यों की पुलिस के बीच टकराव संभव
बतौर एसके सूद, अगर सब कुछ एक समान कर पुलिस को ‘इंडियन पुलिस’ कहा जाएगा तो उसके बाद राज्यों की पुलिस के बीच टकराव संभव है। एक राज्य में दूसरे प्रदेश के अपराधी छिपते हैं। यहां पर दिल्ली एनसीआर को ही लें। अगर एक जैसी वर्दी हुई तो दिल्ली, हरियाणा और यूपी के अलावा राजस्थान पुलिस किसी भी आरोपी को अपनी मनमर्जी से पकड़ने के लिए आ सकती है।
किस राज्य की पुलिस ने अरेस्ट किया
“अगर कहीं गोली चलने जैसी अप्रिय घटना हो गई तो केवल कंधे के बैज से यह पता लगाना मुश्किल हो जाएगा कि वह पुलिस टीम किस राज्य से आई थी। आरोपी को किस राज्य की पुलिस ने अरेस्ट किया है, यह पता लगाना आसान नहीं होगा। कई बार पुलिस के वेश में अपराधी ही किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं। जीरो एफआईआर की आड़ में पुलिस बलों के बीच एक नई टकराहट शुरु हो सकती है।” पीएम मोदी ने कहा था, उनका मानना है कि देश भर में पुलिस की पहचान समान होनी चाहिए। जिस तरह एक पोस्ट बॉक्स होता है, जिसकी एक अलग पहचान होती है, उसी तरह पूरे देश में पुलिस की वर्दी समान रूप से पहचानी जानी चाहिए।
अपराध के डेटा का केंद्रीयकरण होना जरुरी
कैबिनेट सचिवालय से सेक्रेटरी सिक्योरिटी के पद से रिटायर हुए पूर्व आईपीएस एवं सीआईसी रहे यशोवर्धन आजाद कहते हैं, समान नागरिक संहिता या एक पुलिस वर्दी, इसका फायदा होगा। अपराध के डेटा का केंद्रीयकरण होना जरुरी है। अगर एक सेंट्रल सर्वर पर यह सब जानकारी रहे तो अपराध को रोकने में बहुत मदद मिलेगी।
“सीसीटीएनएस भी उसी दिशा में काम करता है, लेकिन इस पर सभी राज्य उत्साह के साथ काम नहीं कर पा रहे। राज्य सरकारों को यह देखना होगा कि इसका कितना फायदा हुआ है। क्या वे जांच कार्य में इस डेटा का इस्तेमाल कर रहे हैं। मौजूदा परिस्थितियों में आतंकवाद, ड्रग्स, साइबर क्राइम व अन्य अपराधों की गहराई से जांच के लिए सारे डेटा का सेंट्रल सर्वर पर होना अनिवार्य है।”
सभी राज्यों को एक राष्ट्र, एक कानून के लिए तैयार रहना चाहिए। देश में आर्मी की तर्ज पर पुलिस की भी एक ही वर्दी हो। आज पुराना भारत नहीं है। आपातकालीन संस्थाओं की यूनिफॉर्म एक हो सकती है तो पुलिस की क्यों नहीं।