Only Hindi in MP Police यह खबर जरा हटकर है। हो भी क्यों न आखिर मध्यप्रदेश पुलिस अब उर्दू फ़ारसी के प्रचलित शब्दों का जो उपयोग कर रही थी उसके स्थान पर सिर्फ हिंदी शब्दों का ही उपयोग करने सम्बंधित एक आदेश पीएचक्यू से जारी जो हुआ है।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अनिल कुमार गुप्ता ने आदेश जारी कर कहा कि पुलिस की तमाम कार्रवाई में ऐसे शब्दों का प्रयोग जिसमे अन्य भाषा उर्दू या फारसी उपयोग होता है उसके स्थान पर हिंदी के शब्द प्रयोग किये जायें ।
देखें आदेश
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की सलाह के बाद गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मध्यप्रदेश पुलिस की डिक्शनरी से उर्दू और फ़ारसी शब्द हटाने का भी आदेश दे दिया। गृह मंत्री ने कहा कि ऐसे शब्द जो प्रचलन में नहीं हैं और रिफ्यूजी टाइप के हैं उन्हें अन्य राज्यों की तरह यहां भी बदलने की प्रक्रिया को शुरू की जाएगी।
ब्रिटिश काल से ही पुलिस के द्वारा उर्दू और फ़ारसी शब्द का प्रयोग किया जाता है। मध्यप्रदेश सरकार के इस आदेश के बाद करीब 350 उर्दू और फ़ारसी शब्द पुलिस की डिक्शनरी से गायब हो जाएंगे। जिसमें अदम पता- जिसका पता न लगाया जा सका, तरमीम- संशोधन, इश्तगस्सा- याचिका, पतारसी- अपराध अनुसंधान से पहले की प्रक्रिया, माल मसरुटा- डकैती में लूटा माल, आला कत्ल- कत्ल में प्रयुक्त हथियार, मुद्दई- शिकायतकर्ता जैसे कई शब्द शामिल हैं। हालांकि इससे पहले दिल्ली, राजस्थान और उत्तरप्रदेश में भी कई ऐसे शब्दों को बदला गया है। 1861 में जब पुलिस एक्ट बना था तो अंग्रेजों ने आधिकारिक भाषा में हिंदी, उर्दू, फारसी के मिश्रण वाले शब्दों को इसमें शामिल किया था।
दरअसल गत दिनों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह कलेक्टर और एसपी कांफ्रेंस में थे। इसी दौरान एक पुलिस अधीक्षक ने गुमशुदा शब्द के लिए दस्तयाब शब्द का इस्तेमाल किया। जिस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे मुग़ल काल का शब्द बताते हुए सरल शब्दों का प्रयोग करने की सलाह दी। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पुलिस को शिकायत दर्ज करने, जांच रिपोर्ट तैयार करने और अन्य कार्यवाही के समय सरल हिंदी शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए।