Pharmacist Day: जम्मू-कश्मीर में 12 हजार फार्मासिस्टों को पंजीकरण का इंतजार
जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के पहले प्रदेश में 8 से 10 हजार ऐसे विद्यार्थी थे, जो फार्मासिस्ट से पास आउट हुए थे या डिप्लोमा कर रहे थे। इसी तरह स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत करीब 1200 फार्मासिस्टों ने भी पंजीकरण नहीं करवाया है।
Pharmacist Day : जम्मू-कश्मीर में करीब 12 हजार फार्मासिस्टों को पंजीकरण का इंतजार है। अनुच्छेद 370 के दौरान प्रदेश में फार्मासिस्टों का स्टेट फार्मेसी काउंसिल के अधीन जम्मू-कश्मीर फार्मेसी एक्ट, समवात 2011 (1955 एडी) के तहत पंजीकरण हो रहा था। अक्तूबर 2019 में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन के बाद केंद्रीय अधिनियम लागू होने से यह फार्मेसी एक्ट 1948 के तहत पंजीकृत होने लगा, लेकिन इसमें उन्हीं फार्मासिस्टों को दोबारा पंजीकरण की अनुमति दी गई, जो पहले से पंजीकृत थे। इसके लिए एक साल का समय दिया गया, लेकिन दो साल से PHARMACIST के लिए नया पंजीकरण नहीं हुआ है।
जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के पहले प्रदेश में 8 से 10 हजार ऐसे विद्यार्थी थे, जो PHARMACIST से पास आउट हुए थे या डिप्लोमा कर रहे थे। इसी तरह स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत करीब 1200 फार्मासिस्टों ने भी पंजीकरण नहीं करवाया है। फार्मेसी एक्ट 1948 के तहत उन्हीं फार्मासिस्टों को पंजीकरण किया जाएगा, जिन्होंने इसी एक्ट के तहत डिप्लोमा किया है।
इस मामले को फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के समक्ष उठाया गया, जिसके बाद अक्तूबर 2020 से लेकर अक्तूबर 2021 तक एक साल की अवधि में पुराने पंजीकृत फार्मासिस्टों को दोबारा पंजीकरण के लिए कहा गया। लेकिन पहले से डिप्लोमा होल्डरों को नया पंजीकरण की अनुमति नहीं दी गई है।
इस मामले में गृह मंत्रालय की ओर से मुख्य सचिव से पंजीकरण अवधि के लिए सुझाव मांगा है, लेकिन सरकार की ओर से अभी कोई जवाब नहीं भेजा है। ड्रग कंट्रोलर लोतिका खजूरिया का कहना है कि अभी नए फार्मासिस्टों के पंजीकरण पर कोई फैसला नहीं हो पाया है। फार्मेसी एक्ट 1948 के तहत फार्मेसी करने वाले ही पंजीकृत हो रहे हैं।
सरकार मामले को गंभीरता से ले
नए पंजीकरण की प्रक्रिया नहीं होने से हजारों लोगों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है। सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। – सुशील सूदन, वरिष्ठ PHARMACIST एवं प्रधान, जम्मू-कश्मीर मेडिकल इंप्लाइज फेडरेशन।
35 साल की नौकरी के बाद भी पंजीकरण नहीं
कई PHARMACIST दूरदराज के क्षेत्रों में सालों तैनात रहे हैं। ऐसे में उन्होंने खुद को पंजीकृत नहीं कराया। इनमें कई ऐसे भी हैं जिन्होंने 35 साल तक स्वास्थ्य विभाग में सेवाएं दीं, लेकिन अब पंजीकरण नहीं होने से वह दवा की दुकान भी नहीं खोल सकते हैं। – सुभाष चौधरी, PHARMACIST।
हजारों युवाओं का भविष्य दांव पर
हजारों बच्चे प्रदेश के पुनर्गठन से पहले बी या डी फार्मेसी कर रहे थे। ऐसे में पंजीकरण न होने से उनका भविष्य बर्बाद हो जाएगा। उन्हें पुराने एक्ट के तहत फार्मेसी का कोई लाभ नहीं मिलेगा। – राजेंद्र पाल, PHARMACIST।
सभी फार्मासिस्टों को पंजीकृत करें
जो लोग बाहर से फार्मेसी एक्ट 1948 के तहत PHARMACIST डिप्लोमा कर रहे हैं, उन्हें तो पंजीकृत किया जा रहा है, लेकिन प्रदेश के हजारों युवाओं को ऐसी सुविधा नहीं दी जा रही है। – मदन लाल शर्मा, PHARMACIST।
जल्द लिया जाए फैसला
सरकार को फार्मासिस्टों और इससे संबंधि विद्यार्थियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए उचित फैसला लेना चाहिए। ये PHARMACIST काफी समय से फैसले की राह देख रहे हैं। – कमलजीत साहली, PHARMACIST।
पहले PHARMACIST को कहते थे कपाउंडर
देशभर में 1972 से पहले PHARMACIST को कंपाउडर कहा जाता था, जो दवाओं का मिश्रण करते थे। इसके बाद दवाओं की स्ट्रिप आना शुरू हो गई और इन्हें PHARMACIST कहा जाने लगा। उस समय भी जम्मू-कश्मीर में PHARMACIST कहलाने के लिए 14 दिन का संघर्ष किया गया था। स्वास्थ्य क्षेत्र में PHARMACIST की भूमिका अहम होती है, जो डॉक्टर की लिखी दवाई को मरीज को देने का काम करता है। डॉक्टर के बाद PHARMACIST को ही दवा की सही जानकारी होती है।