शियामीन। ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने गए पीएम मोदी ने डोकलाम के बाद पहली बार चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मंगलवार को मुलाकात की। इस दौरान दोनों के बीच द्विपक्षीय बातचीत जारी है। दोनों की इस मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजर है।
इस मुलाकात से पहले भारत को बड़ी सफलता मिली और सोमवार को सभी ब्रिक्स सदस्य देशों ने एक सुर में आतंकवाद की निंदा की। इस दौरान जारी हुए डिक्लेरेशन में पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठनों मसलन जैश-ए-मुहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हक्कानी नेटवर्क का नाम लिया गया।
43 पेज के शियामीन घोषणा-पत्र में चीन समेत पांचों सदस्य देशों ने आतंकवाद की एक स्वर से निंदा करते हुए उसका मिलकर मुकाबला करने का संकल्प लिया। आतंक पर अब तक पाक का समर्थन करने वाला चीन भी चार अन्य देशों के दबाव में झुकने को मजबूर हुआ। पुतिन, जिनपिंग, मोदी, जूमा और टेमर एकजुट
शियामीन शिखर सम्मेलन की सबसे ब़़डी उपलब्धि आतंकवाद के मुद्दे पांचों सदस्य देशों के शासन प्रमुखों का एकजुट होना रहा। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, भारत के पीएम नरेंद्र मोदी, ब्राजील के राष्ट्रपति माइकल टेमर और द अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा ने आतंकवाद की कड़े शब्दों में निंदा की।
मसूद अजहर पर चीन का रुख होगा अहम
चीन ने ब्रिक्स सम्मेलन में आतंकवाद का तो विरोध कर दिया, लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि क्या वह भारत के दुश्मन मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र से अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने का समर्थन करेगा? अब तक वह अमेरिका व अन्य देशों के इस प्रस्ताव के खिलाफ वीटो का उपयोग कर चुका है। इस बारे में मीडिया ने जब चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग से चीन का रख जानना चाहा तो उन्होंने सीधा कोई जवाब नहीं दिया।