कटनी। पुलिस अधीक्षक अभिजीत रंजन द्वारा आज कंट्रोल रूम कटनी में नये अपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन एवं जागरूकता कार्यक्रम के संबंध में जिले के राजपत्रित पुलिस अधिकारी एवं समस्त थाना/चौकी प्रभारियों की बैठक ली ।
पुलिस अधीक्षक अभिजीत रंजन ने कहा कि एक जुलाई से भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 प्रभावी होंगे। मीडिया के माध्यम से लोगों तक नये कानूनों के संबंध में जानकारी पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यत: पुराने कानून ब्रिटिश काल से चले आ रहे थे। जिसे प्रासंगिक बनाने के लिए एवं निर्धारित समय-सीमा में प्रकरणों का समाधान करने के लिए परिवर्तन किया गया है। इस बदलाव से अपराधियों के खिलाफ एफआईआर करने में दिक्कत नहीं होगी तथा गंभीर अपराधियों को प्रक्रिया का पालन करते हुए कड़ी कार्रवाई की जा सकेगी। प्रकरणों के निराकरण के लिए समय निर्धारित किया गया है। पीडि़त पक्ष को ध्यान में रखा गया है। शीघ्र निराकरण होने से दोनों पक्षों के लिए राहत है। पीडि़त पक्षकार को ई-साक्ष्य, जीरो-एफआईआर, ई-एफआईआर से राहत मिलेगी। बहुत अच्छी मंशा के साथ नया कानून बना है। सभी नागरिकों को इसका फायदा मिलेगा। दोषी अपराधियों को सजा जल्दी मिलेगी। जिससे समाज में एक अच्छा प्रभाव एवं परिवर्तन दिखाई देगा। पीडि़त पक्ष को न्याय जल्दी मिलेगा। यह कानून सभी नागरिकों तक पहुंच सकें। इसके लिए लगातार जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए ।
पुलिस अधीक्षक श्री रंजन ने कहा कि प्रकरणों के निराकरण के लिए नये कानूनों में समय का निर्धारण किया गया है। पारदर्शिता व जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न प्रावधान किए गए है। विशेषकर अपराधिक मामलों में तलाशी एवं जप्ती के दौरान फोटोग्राफी एवं वीडियोग्राफी अनिवार्य रूप से की जाएगी। इन कानूनों के संबंध में नागरिकों को जानकारी होना चाहिए। नये कानून में आरोपियों के लिए नये प्रावधान किए गए हैं। सभी के लिए आवश्यक है कि स्वयं भी इन कानूनों को समझें तथा दूसरों को भी जागरूक करें। पीडि़त पक्ष को न्याय समय पर मिले। पुलिस समय पर विवेचना करें, इसके लिए समय सीमा निर्धारित की गई है। लोगों के लिए एक अच्छा कानून बनाया गया है, ताकि उन्हें सुविधा मिल सकें।
पुलिस, विवेचक, प्रार्थी, गवाह, पीडि़त सबके लिए एक अच्छा परिवर्तन है। 1 जुलाई 2024 से कानून लागू होने के बाद कोई भी अपराध होने पर नये कानून के अंतर्गत घटना या अपराध पंजीबद्ध होगा। इसके अंतर्गत अपराधों के लिए न्याय व्यवस्था अंतर्गत यह व्यवस्था की गई है कि निर्धारित समय में उनका निराकरण हो सके। इसी तरह पुलिस एवं न्यायालय के लिए तथा पोस्टमार्टम रिपोर्ट, फॉरेंसिंक रिपोर्ट समय पर देना होगा। इसमें पीडि़त पक्ष, आरोपी पक्ष सभी को फायदा होगा। सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए पूरी प्रक्रिया को डिजिटल किया गया है। एफआईआर की प्रक्रिया, एफआईआर के निर्णय सभी डिजिटल फॉर्म में होंगे। सामाजिक-आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से सभी नागरिक अलग-अलग स्थानों में रहते है। ऐसी स्थिति में दस्तावेज डिजिटल होने से फायदा मिलेगा।
कार्यक्रम के दौरान अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ. संतोष डेहरिया ने कहा कि फॉरेंसिंक टीम एवं साक्ष्य से संबंधित प्रावधान महत्वपूर्ण है। बच्चों एवं महिलाओं के खिलाफ आरोप होने पर कड़ी सजा का प्रावधान है, इसे गंभीरता से लिया गया है। बच्चों से अपराधिक गतिविधि कराने पर दुगुनी सजा का प्रावधान है। बार-बार अपराध करने वालों पर अधिक दण्ड का प्रावधान किया गया है। देश के बाहर भाग जाने वाले अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए भी प्रावधान किए गए हैं। अब जांच के दौरान तकनीक का प्रयोग किया जाएगा और तलाशी एवं जप्ती के दौरान वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी। उन्होंने नये कानून के धाराओं के संबंध में विस्तृत जानकारी दी।
इस अवसर पर नगर पुलिस अधीक्षक श्रीमती ख्याति मिश्रा, एसडीओपी स्लीमनाबाद श्री अखिलेश गौर, एसडीओपी विजयराघवगढ़ श्री कृष्ण पाल सिंह, डीएसपी अजाक श्री प्रभात शुक्ला और जिले के समस्त थाना/चौकी प्रभारी उपस्थित थे।