Raksha Bandhan Tyohar2023: भद्रा की चिंता छोड़ें, भगवान कृष्ण को राखी अर्पित करें और सजा दें भाई की कलाई । श्रावण मास की पूर्णिमा पर भद्रा का प्रभाव होने के कारण बहनें दुविधा में है कि किस शुभ घड़ी में भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधे, ताकि भाई का जीवन सुखमय हो। यह बात सही है कि भद्रा में राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता है और रक्षाबंधन के लिये दोपहर का समय ही सर्वेश्रेष्ठ माना जाता है।
इस साल भी पूर्णिमा (बुधवार) को भद्रा का उदय सुबह 10:59 मिनिट पर होगा, और भद्रा का अस्त रात्रि नौ बजकर दो मिनिट पर है। ज्योतिष के अनुसार इस समय भाई की कलाई पर राखी बांधना शुभ नहीं है। किंतु ज्योतिष शास्त्र में हर समस्या का समाधान भी बताया गया है। बहनें भाई की कलाई पर किस समय राखी बांधे, इस विषय पर ज्योतिष के विद्वानों से नईदुनिया ने चर्चा कर उनका मत जाना तो उनका कहना है कि भगवान श्रीकृष्ण को राखी समर्पित कर भाई की कलाई पर राखी बांधें।
कब से कब तक हैं भद्रा
ज्योतिषाचार्य डा. सतीश सोनी के अनुसार 30 अगस्त दिन बुधवार को भद्रा का उदय सुबह 10:59 पर होगा एवं भद्रा अस्त रात्रि 9:02 पर होगी। इस दिन चंद्रमा प्रांत 9:57 पर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे, अर्थात भद्रा के उदय के समय में चंद्रमा के कुंभ राशि में स्थित होने से भद्रा का बास मृत्यु लोक में रहेगा। अतः रक्षाबंधन भद्रा के उदय से पूर्व अथवा भद्रा के मुख्य कल की पांच घाटी यानी 2 घंटे व्यतीत होने के उपरांत शुभ चौघड़िया में मनाना श्रेय कारक रहेगा। इस दिन दोपहर 12:20 से 1:54 तक राहुकाल रहेगा, वहीं प्रातः 10-14 से पंचक प्रारंभ हो जाएंगे।
राखी बांधने के शुभ मुहूर्त
भद्रा काल के साथ रक्षाबंधन पर सूर्य, बुध, गुरु, शुक्र और शनि से पंच महायोग बन रहे हैं । इनमें बुधाआदित्य योग, बासरपति योग, गजकेसरी योग, शश योग और भ्राता वृद्धि योग का दुर्लभ संगम होने से विशेष परिस्थिति में अपने भद्रा काल के उत्तर काल में राखी बांधी जा सकती है। राखी बांधने का शुभ मुहूर्त शुभ मुहूर्त प्रातः 6:00 से 9:00 तक भद्रा एवं पंचक से पूर्व वही दोपहर 3:30 से 6:30 मिनट तक भद्रा के मुख्य काल की पांच घटी पश्चात तथा एवं शुभ श्रेष्ठ कारक मुहूर्त शाम 5:00 से 6:30 तक प्रदोष काल में, रक्षाबंधन भद्रा पुंछ शाम 5:30 से 6:30 तक, वहीं भद्रा मुख शाम 6:31 से 8: 11 तक, सर्वोत्तम अमृत मुहूर्त रात 9:34 से रात 10:58 तक राखी बांधना शुभ रहेगा।
भद्रा क्या हैं?
आमजन के मन में पहला सवाल यह हो सकता है भद्रा क्या हैं? भद्रा भगवान शनिदेव की बहन हैं और उनका स्वभाव रुद्र और उग्र है। इसलिए त्योहारों पर उनकी उपस्थिति अशुभ मानी गई है। श्रवण मास की पूर्णिमा को दिन पंचक और भद्रा का प्रभाव रहेगा।
राखी में तीन गांठ लगाने का महत्व
राखी बांधते समय बहन को अपने भाई की कलाई पर तीन गांठें बांधना चाहिए। तीन गांठें लगाने का अपना अलग धार्मिक महत्व है। मान्यता है कि तीन गांठें का महत्व तीन देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश से है और यह उन्हें समर्पित भी है। ऐसे में पहली गांठ भाई की उम्र के लिए, दूसरी गांठ खुद की उम्र के लिए और तीसरी और अंतिम गांठ भाई बहन के बीच प्यार भरे रिश्ते के लिए है। वहीं भविष्य पुराण में कहा गया है कि रक्षा सूत्र धारण करने से वर्ष भर रोगों से रक्षा होती है, तथा नकारात्मक और दुर्भाग्य दूर होता है।
पहले भगवान श्रीकृष्ण को राखी समर्पित करें
अशुभ काल को शुभ काल में बदलने के लिए बहुत ही सरल और सहज उपाय हैं। इसके लिए पहले भगवान श्री कृष्ण के समक्ष दीप जलाकर प्रार्थना करें उसके उपरांत प्रदोष काल में राखी बांधे, या फिर भद्रा पूर्णता समाप्ति के बाद यानी रात 9:00 बजे के बाद से लेकर 31 अगस्त सुबह 7:01 तक राखी बांधी जा सकेगी।