Ram Mandir Nirman: अमित शाह का बड़ा एलान, 1 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर तैयार मिलेगा
Ram Mandir Nirman: अमित शाह का बड़ा एलान, 1 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर तैयार मिलेगा
Ram Mandir Nirman: अमित शाह का बड़ा एलान, 1 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर तैयार मिलेगा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अयोध्या में तैयार हो रहे राम मंदिर को लेकर बड़ा एलान किया है। उन्होंने कहा कि 1 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर तैयार मिलेगा। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जब से देश आजाद हुआ, तब से कांग्रेसी इसको कार्ट में उलझा रहे थे। मोदी जी आए एक दिन सुबह सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया और मोदी जी ने उसी दिन राम मंदिर का भूमि पूजन पूरा कर मंदिर निर्माण शुरू कराया। 1 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर तैयार मिलेगा।
गौरतलब है कि राम मंदिर के लिए कानूनी लड़ाई 135 सालों से ज्यादा लंबी चली है। 15वीं सदी से चली आ रही इस लड़ाई पर साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने विराम लगा दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में विवादित जमीन पर राममंदिर का निर्माण करने की अनुमति देते हुए मुस्लिम पक्ष को दूसरी जगह जमीन देने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक एक ट्रस्ट बनाकर भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। पांच अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया था।
स्थापत्य कला के लिए नजीर बनेगा राममंदिर
राममंदिर स्थापत्य कला के लिए भी नजीर होगा। 70 एकड़ के रामजन्मभूमि परिसर में संपूर्ण भारत को संजोने की योजना है। यहां हो रहे निर्माण कार्य में भारतीय संस्कृति के नायाब कला की झलक दिखेगी। राममंदिर जिन 400 स्तंभों पर टिका होगा उनमें देवी-देवताओं के चित्र उकेरे जाएंगे तो आठ एकड़ में बनने वाले परकोटे में रामकथा के 100 प्रसंगों का चित्रांकन किया जाएगा।
400 स्तंभों पर टिका होगा राममंदिर
राममंदिर न सिर्फ तकनीक बल्कि भव्यता में भी दुनिया के चुनिंदा मंदिरों में शामिल होगा। तीन मंजिला राममंदिर 400 स्तंभों पर टिका होगा। कुशल कारीगरों द्वारा इन स्तंभों में रामकथा के प्रसंगों सहित कुल 6400 मूर्तियां प्राचीन पद्धति से उकेरी जाएंगी, जो मंदिर को हेरिटेज लुक देने का काम करेंगी। मंदिर के हर खंभे में देवी-देवताओं की 16 मूर्तियों को उकेरा जाएगा।
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रामायण के 100 प्रसंगों को भी उकेरा जाएगा
साथ ही राममंदिर के 2500 वर्ग फीट के क्षेत्र में बनने वाले परकोटे में रामायण के 100 प्रसंगों को भी उकेरा जाएगा। इसके लिए मूर्तिकारों सहित रामनगरी व देश के संत-धर्माचार्यों से भी सलाह ली जा रही है। मूर्तियों का निर्माण सबसे पहले पेंसिल से होगा फिल क्ले बनाया जाएगा उसके बाद मॉडलिंग की जाएगी।
मंदिर के इतिहास पर बनेगी फिल्म, महानायक देंगे आवाज
राममंदिर के लिए हुए पांच सौ वर्षों के संघर्ष पर एक फिल्म बनाने की ट्रस्ट की योजना है। फिल्म का निर्माण दूूरदर्शन कर रहा है। फिल्म में बॉलीवुड के सुपर स्टर अभिनेता अमिताभ बच्चन अपनी आवाज देंगे। राममंदिर के 500 साल के इतिहास को लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी मशहूर लेखक और फिल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून को दी गई है। उनके साथ छह सदस्यीय टीम काम करेगी। इस काम के लिए अमिताभ व प्रसून जोशी कोई फीस नहीं ले रहे हैं।
अयोध्या मामले का घटनाक्रम
1528: बाबर ने यहां एक मस्जिद का निर्माण कराया जिसे बाबरी मस्जिद कहते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार इसी जगह पर भगवान राम का जन्म हुआ था।
1853: हिंदुओं का आरोप कि भगवान राम के मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण हुआ। मुद्दे पर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच पहली हिंसा हुई।
1859: ब्रिटिश सरकार ने तारों की एक बाड़ खड़ी करके विवादित भूमि के आंतरिक और बाहरी परिसर में मुस्लिमों और हिदुओं को अलग-अलग प्रार्थनाओं की इजाजत दे दी।
1885: मामला पहली बार अदालत में पहुंचा। महंत रघुबर दास ने फैजाबाद अदालत में बाबरी मस्जिद से लगे एक राम मंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए अपील दायर की।
23 दिसंबर 1949: करीब 50 हिंदुओं ने मस्जिद के केंद्रीय स्थल पर कथित तौर पर भगवान राम की मूर्ति रख दी। इसके बाद उस स्थान पर हिंदू नियमित रूप से पूजा करने लगे। मुसलमानों ने नमाज पढ़ना बंद कर दिया।
16 जनवरी 1950: गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद अदालत में एक अपील दायर कर रामलला की पूजा-अर्चना की विशेष इजाजत मांगी।
5 दिसंबर 1950: महंत परमहंस रामचंद्र दास ने हिंदू प्रार्थनाएं जारी रखने और बाबरी मस्जिद में राममूर्ति को रखने के लिए मुकदमा दायर किया. मस्जिद को ‘ढांचा’ नाम दिया गया
17 दिसंबर 1959: निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल हस्तांतरित करने के लिए मुकदमा दायर किया।
18 दिसंबर 1961: उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक के लिए मुकदमा दायर किया।
1984: विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने बाबरी मस्जिद के ताले खोलने और राम जन्मस्थान को स्वतंत्र कराने व एक विशाल मंदिर के निर्माण के लिए अभियान शुरू किया. एक समिति का गठन किया गया।
1 फरवरी 1986: फैजाबाद जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल पर हिदुओं को पूजा की इजाजत दी। ताले दोबारा खोले गए। नाराज मुस्लिमों ने विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया।
जून 1989: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने वीएचपी को औपचारिक समर्थन देना शुरू करके मंदिर आंदोलन को नया जीवन दे दिया।
1 जुलाई 1989: भगवान रामलला विराजमान नाम से पांचवा मुकदमा दाखिल किया गया।
9 नवंबर 1989: तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने बाबरी मस्जिद के नजदीक शिलान्यास की इजाजत दी।
25 सितंबर 1990: बीजेपी अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली, जिसके बाद साम्प्रदायिक दंगे हुए।
नवंबर 1990: आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया। बीजेपी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया।
अक्टूबर 1991: उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह सरकार ने बाबरी मस्जिद के आस-पास की 2.77 एकड़ भूमि को अपने अधिकार में ले लिया।
6 दिसंबर 1992: हजारों की संख्या में कार सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढाह दिया। इसके बाद सांप्रदायिक दंगे हुए। जल्दबाजी में एक अस्थायी राम मंदिर बनाया गया।
16 दिसंबर 1992: मस्जिद की तोड़-फोड़ की जिम्मेदार स्थितियों की जांच के लिए लिब्रहान आयोग का गठन हुआ।
जनवरी 2002: प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यालय में एक अयोध्या विभाग शुरू किया, जिसका काम विवाद को सुलझाने के लिए हिंदुओं और मुसलमानों से बातचीत करना था।
अप्रैल 2002: अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर उच्च न्यायालय के तीन जजों की पीठ ने सुनवाई शुरू की।
मार्च-अगस्त 2003: इलाहबाद उच्च न्यायालय के निर्देशों पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई की. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का दावा था कि मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष होने के प्रमाण मिले हैं। मुस्लिमों में इसे लेकर अलग-अलग मत थे।
सितंबर 2003: एक अदालत ने फैसला दिया कि मस्जिद के विध्वंस को उकसाने वाले सात हिंदू नेताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जाए।
जुलाई 2009: लिब्रहान आयोग ने गठन के 17 साल बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
28 सितंबर 2010: सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहबाद उच्च न्यायालय को विवादित मामले में फैसला देने से रोकने वाली याचिका खारिज करते हुए फैसले का मार्ग प्रशस्त किया।
30 सितंबर 2010: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा जिसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े में जमीन बंटी।
9 मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।
जुलाई 2016: बाबरी मामले के सबसे उम्रदराज वादी हाशिम अंसारी का निधन।
21 मार्च 2017: सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से विवाद सुलझाने की बात कही।
19 अप्रैल 2017: सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी और आरएसएस के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया।8 फरवरी, 2018: सुप्रीम कोर्ट ने सिविल अपीलों पर सुनवाई शुरू की।
2019: सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय संविधान पीठ का गठन किया।
6 अगस्त, 2019: सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना मामले की सुनवाई शुरू की।
16 अक्तूबर, 2019: सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा।
9 नवंबर, 2019: सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा: विवादित भूमि पर बनेगा मंदिर, मुस्लिम पक्ष को कहीं और मिलेगी जमीन